सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर फैसला जारी किया है। उनके वकीलों ने न्यायिक हिरासत के खिलाफ याचिका दायर की थी और अदालत ने उन्हें 15 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में बनाए रखने का निर्णय लिया है।
केजरीवाल, उनके उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और भारत राष्ट्र समिति की विधान पार्षद के कविता की भी न्यायिक हिरासत बढ़ी गई है। अदालत ने उन्हें रिहा किए जाने पर आधिकारिक ड्यूटी करने पर निषेध लगाने की भी चेतावनी दी है।
केजरीवाल अपनी निर्दोषता का बखान करते हुए अपने वकीलों के माध्यम से यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने किसी फाइल पर दस्तखत नहीं किया है। उनके वकीलों ने यह भी कहा है कि एलजी भी फाइल पर दस्तखत न करने की वजह से किसी भी फाइल को नहीं रोक सकते।
ईडी द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के पीछे के आरोपों की जांच जारी है और मामले में अगली सुनवाई 20 मई को है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
यह बात ध्यान देने योग्य है कि केजरीवाल को पहले ही चुनाव से पहले न्यायिक हिरासत में डाल दिया गया था, फिर उन्हें अंतरिम जमानत दे दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस मामले पर नजर डाली है।
अब देखना रहेगा कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों के लिए कैसा निर्णय आता है और कैसे यह पूरे मामले पर राजनीतिक दलों के बीच नया खेल खड़ा कर सकता है।
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