2029 तक सभी चुनाव एक साथ कराने के फॉर्मूले पर विधि आयोग काम कर रहा है। सरकार ने एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है जो लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के वास्ते है। विधि आयोग अपनी सिफारिश में राष्ट्रीय, राज्यों और स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने को कहा जा सकता है। इसलिए, जो बात इस घोषणा से स्पष्ट हुई है, वह है कि संबित पात्रा के अनुसार वह लोगों में उत्सुकता भर देता है जो अब दशकों तक लगातार चुनावों की व्यवस्था की घड़ी मां करते आ रहे हैं।
विधि आयोग एक तंत्र तैयार कर रहा है जो लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के वास्ते एक आम मतदाता सूची सुनिश्चित करेगा। यह तंत्र चुनाव प्रबंधन और निर्वाचन सम्प्रेषण प्रणाली के बारे में सोच रहे हैं। विधि आयोग के अधिकारी बता रहे हैं कि इस तंत्र के माध्यम से सभी निर्वाचित सांसदों और विधायकों के विवरण एक ही संगठन में सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
विधि आयोग को आगे बढ़ने के लिए अभी भी काम करने की जरूरत है क्योंकि कुछ मुद्दों का निपटारा अभी बाकी है। पिछले दिनों जनरल बिपिन रावत के साथ तीन सदस्यीय समिति के चर्चा में विधि आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि उनके साथ एक छात्रवृत्ति नहीं है। अगर उन्हें बड़ी पुरस्कार मिलता है, तो प्रयास करेंगे कि ध्यान न दें ताकि अनहोनी के संदेश न जाएं।
विधि आयोग ने मानव संसाधन, सूचना प्रबंधन और तैनाती के क्षेत्र में कोई गड़बड़ी नहीं करने की आपेक्षा की है। कई वर्षों में, इसका अर्थीवद्धि हुई है। यह उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2029 तक इस स्कीम की लागत लगभग 30,000 करोड़ रुपये होगी। कोई भी सीमा ध्यान में नहीं रखी गई है। सभी यूनिट्स पर उर्जा संरक्षण उपकरण स्थापित किए जाएंगे।
विधि आयोग द्वारा आयोजित की जा चुकी बैठक पर विचारधीन रहना चाहिए क्योंकि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। इस विषय पर लोगों की राय देने के लिए सीधे राज्यों के मुख्य चुनाव आयोगों, वाणिज्यिक संघों और समाने के लिए संगठनों के अधिकारियों के साथ-साथ विचारधीन रहने चाहिए।
एक बात करें कि विधि आयोग ने सिर्फ विधायिका ऐप में नहीं उठाया है बल्कि उसने इसे अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया है। इस प्रक्रिया के माध्यम से लोगों को इस फैक्टोर ने बताया है कि उन्हें किस प्रकार का आनंद आएगा।
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