लखनऊ — उत्तर प्रदेश में विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया की शुरुआत होते ही राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने और आगामी चुनावों की तैयारी को लेकर रणनीतिक मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अद्यतन करने और फर्जी या दोहराए गए नामों को हटाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूरे प्रदेश के 1.62 लाख मतदान केंद्रों पर अपने बूथ-स्तरीय एजेंटों को सक्रिय कर दिया है। पार्टी संगठन का फोकस “हर बूथ, मजबूत बूथ” के नारे के तहत काम करने पर है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में “वार-रूम” स्थापित किए जा रहे हैं, जहां मतदाता सूची में हो रहे परिवर्तनों पर नजर रखी जा सकेगी।
एक वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि, “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी समर्थक मतदाता सूची से वंचित न रहे और हर बूथ पर हमारा सीधा संपर्क बना रहे।”
संगठन स्तर पर पार्टी ने सोशल मीडिया, खासकर व्हाट्सऐप ग्रुप्स का भी उपयोग शुरू किया है, जिनके जरिए मतदाताओं को नाम की पुष्टि और नए पंजीकरण की जानकारी दी जा रही है।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी मतदाता सूची संशोधन को लेकर व्यापक अभियान शुरू किया है। पार्टी ने राज्य भर में हेल्पलाइन नंबर और स्थानीय निगरानी समितियाँ गठित की हैं, ताकि उन लोगों की मदद की जा सके जिनके नाम सूची में दर्ज नहीं हैं या जिनका नाम गलती से हटा दिया गया है।
सपा का दावा है कि प्रशासनिक गड़बड़ियों की वजह से कुछ मतदाता अक्सर सूची से बाहर रह जाते हैं, जिससे लोकतांत्रिक अधिकार प्रभावित होता है। सपा प्रवक्ता ने कहा कि, “हम हर बूथ और हर वार्ड में कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहे हैं ताकि कोई भी योग्य मतदाता बाहर न रह जाए।”
इसके साथ ही, सपा ने अपने डिजिटल नेटवर्क को भी मज़बूत किया है, जिसमें कार्यकर्ताओं को रोज़ अपडेट भेजे जा रहे हैं और मतदाताओं से सीधा संवाद बनाए रखा जा रहा है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने राज्य मुख्यालय में एक विशेष “वार-रूम” बनाया है, जहाँ मतदाता सूची संशोधन की पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है। पार्टी ने प्रत्येक जिले में समन्वयक नियुक्त किए हैं जो स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से संपर्क बनाए हुए हैं।
कांग्रेस ने यह भी तय किया है कि सभी संभावित उम्मीदवारों के क्षेत्र में “वोट सत्यापन शिविर” आयोजित किए जाएंगे। इन शिविरों में लोगों को मतदाता सूची की जांच करने और नई प्रविष्टियाँ जोड़ने में सहायता दी जाएगी।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि, “हम चुनाव आयोग की प्रक्रिया का स्वागत करते हैं, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वर्ग के मतदाता के साथ अन्याय न हो।”
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि SIR प्रक्रिया न केवल प्रशासनिक सुधार का हिस्सा है, बल्कि यह चुनावी तैयारी का शुरुआती चरण भी बन गई है। मतदाता सूची की सटीकता सीधे-सीधे चुनावी रणनीति और परिणामों को प्रभावित करती है।
विश्लेषक डॉ. नितिन त्रिपाठी के अनुसार, “यह दौर केवल नाम जोड़ने-हटाने का नहीं है, बल्कि भविष्य की राजनीतिक गणित तय करने का है। जो दल मतदाता सूची को गंभीरता से लेगा, वही अगली चुनावी जंग में बढ़त हासिल करेगा।”
उत्तर प्रदेश की राजनीति में SIR प्रक्रिया ने नया जोश भर दिया है। जहाँ एक ओर भाजपा बूथ-स्तर पर संगठन सुदृढ़ कर रही है, वहीं सपा और कांग्रेस मतदाता जागरूकता के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती हैं।
आने वाले महीनों में जब संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित होगी, तब यह साफ होगा कि किस पार्टी ने अपने वोट बैंक को कितना मज़बूती से संभाला। फिलहाल, राज्य की सियासत में मतदाता सूची ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनती जा रही है।
