28 views 14 secs 0 comments

BJP-RSS संबंध: “कुछ अलग नहीं कर सकता हमें”

In Politics
September 12, 2025
rajneetiguru.com - प्रधानमंत्री मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत संबंधों पर बयान देते हुए। Image Credit – The Indian Express

पिछले कुछ हफ्तों में भाजपा के शीर्ष नेतागण लगातार राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ (RSS) के साथ अपने वैचारिक संबंधों को सार्वजनिक रूप से दोहरा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयानों से यह साफ संकेत मिलते हैं कि पार्टी और संघ के बीच कोई दूरी नहीं है और वे उन अटकलों को समाप्त करना चाहते हैं जो उनके बीच मतभेद की चर्चा करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में RSS की “राष्ट्र-सेवा” को सराहा, लाल किले से संघ प्रमुख मोहन भागवत का गुणगान किया और विभिन्न पत्रों में प्रकाशित लेखों में संघ के योगदान का उल्लेख किया। अमित शाह ने भी संघ से जुड़ाव को लेकर सुर उठने पर कहा कि RSS के साथ संपर्क होना किसी प्रकार की कमी नहीं है, बल्कि गर्व की बात है। ऐसे समय में जब मीडिया में भाजपा नेतृत्व और RSS के बीच मतभेद और नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कयास लग रहे हैं, ये बयान पार्टी की एकता को दोबारा स्थापित करने की कोशिश माने जा रहे हैं।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने, नाम न बताने की शर्त पर, कहा, “कुछ गैर-जरूरी तनाव तब हुआ है जब कुछ बयानों की गलत व्याख्या की गई। आपको समझना होगा कि RSS और BJP अलग नहीं हैं। हमारा लक्ष्य एक समान है। कुछ भी हमें अलग नहीं कर सकता। नेतृत्व सिर्फ इस बात को दोहरा रहा है।”

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में यह प्रतिक्रिया दी कि जहां संघ सुझाव दे सकता है, वह देता है, लेकिन राज्य-नीति, पार्टी नेतृत्व, रणनीति-निर्धारण जैसे विषय BJP के क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा, “सुझाव दिए जा सकते हैं … लेकिन निर्णय उनके (BJP के) क्षेत्र का है, और हमारा अपना क्षेत्र है।”

RSS की स्थापना 1925 में हुई थी और वह हिन्दुत्व-आधारित वैचारिक-सामाजिक संगठन है जिसका BJP से गहरा जुड़ाव माना जाता है। BJP स्वयं RSS विचार-परिवार से निकली पार्टी है, और भारतीय राजनीति में RSS ने संगठनात्मक प्रशिक्षण, सामाजिक सेवा और विचाराधारा फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी यह सहयोग साफ था, लेकिन सार्वजनिक राजनीतिक घोषणाएँ और सहयोग अधिक संयमित रहते थे।

अभी, संघ की शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, संघ-पारिवारिक कार्यक्रम, सार्वजनिक प्रचार, और बयानों के माध्यम से RSS का सार्वजनिक दृश्य में स्वर बढ़ रहा है। साथ ही नेतृत्व चयन, संगठन-नियंत्रण और सार्वजनिक छवि को लेकर चर्चाएँ सक्रिय हैं।

भाजपा नेतृत्व द्वारा RSS के प्रति पुनः पुष्टिकरण इस बात का प्रतीक है कि पार्टी अपनी वैचारिक जड़ों को मजबूत करना चाहती है और मतभेद की अफवाहों को शांत करना चाहती है। “कुछ भी हमें अलग नहीं कर सकता,” जैसा संदेश पार्टी की एकसंघता और साझेदारी को मुख्य धारा में रखा जा रहा है। आगे यह महत्वपूर्ण होगा कि ये बयान सिर्फ सार्वजनिक स्तर पर हों या संगठनात्मक और प्रशासनिक स्तर पर भी समान पहल की जाए। BJP-RSS के बीच यह renewed verbondenheit राजनीतिक रणनीति का एक अहम हिस्सा दिखता है और आने वाले समय में इसकी गूंज चुनावी मौसम और नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं में और मजबूत होगी।

Author

/ Published posts: 116

Rajneeti Guru Author