
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने सोमवार को अपने 25 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस बार पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र से बाहर भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है और दो गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को शामिल कर अपनी राजनीतिक सीमाओं को बढ़ाने की कोशिश की है।
2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल की पाँचों सीटों पर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था। इस बार पार्टी ने सीमांचल से आगे बढ़ते हुए ढाका सीट से रंजीत सिंह और सिकंद्रा सीट से मनोज कुमार दास को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान को फिर से अमौर (पूर्णिया) से टिकट दिया गया है।
एआईएमआईएम की इस सूची से यह स्पष्ट है कि पार्टी अब खुद को केवल सीमांचल तक सीमित नहीं रखना चाहती। सीमांचल की मुस्लिम-बहुल छवि से निकलकर पार्टी सामाजिक और जातीय विविधता की ओर बढ़ना चाहती है।
पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सूची जारी करते हुए कहा,
“एआईएमआईएम सबके लिए न्याय और किसी के प्रति भेदभाव नहीं में विश्वास रखती है। हम बिहार के हर वंचित वर्ग की आवाज़ बनना चाहते हैं, चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो।”
घोषित उम्मीदवारों में 14 मुस्लिम हैं, जबकि बाकी उम्मीदवार दलित, पिछड़ा वर्ग और उच्च जाति समुदायों से आते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ओवैसी इस बार “अल्पसंख्यक-पिछड़ा गठजोड़” के सहारे नया सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रमोद मिश्रा ने कहा,
“ओवैसी की पार्टी अब यह दिखाना चाहती है कि वह केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि सभी वंचित और गरीब वर्गों की आवाज़ है। हालांकि, इसे वोट में तब्दील करना एआईएमआईएम के लिए बड़ी चुनौती होगी।”
सीमांचल के बाहर एआईएमआईएम की संगठनात्मक मजबूती अभी सीमित है, और बड़े गठबंधन की कमी चुनावी सफलता में बाधा बन सकती है। साथ ही, आरजेडी-नेतृत्व वाले महागठबंधन और एनडीए के बीच मुकाबला पहले से ही कड़ा है।
फिर भी पार्टी आत्मविश्वास से भरी है। एक प्रवक्ता ने कहा,
“हम किसी का वोट काटने नहीं आए हैं, हम विकल्प बनने आए हैं।”
एआईएमआईएम बेरोजगारी, शिक्षा और अल्पसंख्यक अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर देने के साथ दलित और पिछड़े वर्गों से जुड़ने की रणनीति पर काम कर रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में — 6 और 11 नवंबर को — होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी। एआईएमआईएम के उम्मीदवारों की यह सूची कई क्षेत्रों में चुनावी समीकरण बदल सकती है, खासकर वहाँ, जहाँ अल्पसंख्यक मत निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
25 उम्मीदवारों की सूची जारी कर एआईएमआईएम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सीमांचल से बाहर निकलकर राज्यव्यापी ताकत बनने की ओर अग्रसर है। गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को शामिल करना पार्टी के नए सामाजिक प्रयोग का हिस्सा है। अब देखना यह होगा कि यह रणनीति ओवैसी की पार्टी को बिहार की राजनीति में कितना प्रभाव दिला पाती है।