कांग्रेस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था, कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की शनिवार, 27 दिसंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। गांधी परिवार, शशि थरूर और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में हुई इस बैठक का मुख्य एजेंडा केंद्र सरकार के नए ‘G RAM G’ कानून के खिलाफ रणनीति तैयार करना था।
यह बैठक बिहार चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद पहली बार हुई है। कांग्रेस ने अब ‘संस्थागत कब्जे’ जैसे तकनीकी मुद्दों को छोड़कर सीधे ‘रोजी-रोटी’ के मुद्दों पर लौटने का फैसला किया है, ताकि 2026 में होने वाले केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत की जा सके।
विवाद की जड़: MGNREGA बनाम G RAM G
केंद्र सरकार ने हाल ही में मनरेगा (MGNREGA) को बदलकर ‘विकसित भारत – G RAM G’ कानून लागू किया है। हालांकि नया कानून काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने का दावा करता है, लेकिन कांग्रेस ने इसे “गरीब विरोधी” बताया है।
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राज्यों पर आर्थिक बोझ: मनरेगा के तहत मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र उठाता था, लेकिन नए कानून में राज्यों को 40% खर्च खुद उठाना होगा। कांग्रेस का तर्क है कि इससे गरीब राज्य इस योजना को चलाने में असमर्थ हो जाएंगे।
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महात्मा गांधी का नाम हटाना: योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “यह सिर्फ नाम बदलना नहीं, बल्कि यूपीए की विरासत और गरीबों के अधिकार को खत्म करने की एक ‘आरएसएस-भाजपा’ साजिश है।”
बैठक के मुख्य निर्णय
CWC ने सरकार को घेरने के लिए तीन-सूत्रीय योजना बनाई है:
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देशव्यापी आंदोलन: ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ अभियान के तहत अगले 13 महीनों तक गांव-गांव जाकर पदयात्राएं की जाएंगी।
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नेतृत्व की जवाबदेही: बिहार चुनाव के नतीजों के बाद, अब पार्टी के भीतर ‘जवाबदेही’ तय की जाएगी और सांगठनिक स्तर पर बड़े बदलाव किए जाएंगे।
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2026 का चुनावी रोडमैप: असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ग्रामीण मतदाताओं को साधने के लिए रोजगार गारंटी को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा।
अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस इस बार अपने आंदोलन को लंबे समय तक जारी रख पाएगी, क्योंकि अतीत में राफेल और जीएसटी जैसे मुद्दों पर पार्टी शुरुआती तेजी के बाद अपनी लय खोती दिखी है।
