दशकों से चली आ रही प्रशासनिक प्रक्रियाओं से हटते हुए, कर्नाटक राज्य आबकारी विभाग ने अप्रयुक्त और आवंटित नहीं किए गए खुदरा शराब लाइसेंसों की नीलामी आधिकारिक तौर पर शुरू कर दी है। 1965 में विभाग की स्थापना के बाद यह पहली बार है जब पारदर्शी इलेक्ट्रॉनिक बोली प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इस कदम से राज्य के खजाने में वर्तमान चरण में लगभग ₹1,000 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व आने का अनुमान है, जबकि दीर्घकालिक राजस्व क्षमता इससे कहीं अधिक हो सकती है।
इस नीतिगत बदलाव का प्रस्ताव मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 7 मार्च को प्रस्तुत 2025-26 के राज्य बजट के दौरान दिया था। यह पहल राज्य की महत्वाकांक्षी कल्याणकारी योजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की सरकार की व्यापक वित्तीय रणनीति का एक रणनीतिक हिस्सा है। आबकारी नियमों में हालिया संशोधनों के बाद, विभाग ने प्रतिस्पर्धी ई-बोली प्रक्रिया के माध्यम से 569 लाइसेंसों के आवंटन को अधिसूचित किया है।
रणनीतिक वितरण और पुनर्वर्गीकरण
आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, 569 लाइसेंसों को दो प्राथमिक श्रेणियों में बांटा गया है: 477 CL-2A खुदरा शराब दुकान लाइसेंस और 92 CL-9A बार और रेस्तरां लाइसेंस। बेंगलुरु शहरी जिला इस वाणिज्यिक विस्तार का केंद्र बना हुआ है, जहाँ शहर के आठ आबकारी जिलों में कुल 182 लाइसेंस आवंटित किए जाएंगे।
नीलामी में वे लाइसेंस शामिल हैं जो पहले निष्क्रिय थे। विशेष रूप से, अप्रयुक्त CL-2 और CL-11C लाइसेंस—जिनमें से कुछ मूल रूप से सरकारी स्वामित्व वाली मैसूर सेल्स इंटरनेशनल लिमिटेड (MSIL) को आवंटित किए गए थे लेकिन संचालित नहीं हुए—उन्हें CL-2A के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया है। इसी तरह, बंद किए गए CL-9 लाइसेंसों को CL-9A श्रेणी के तहत नीलामी पूल में वापस लाया गया है।
इस कदम की पारदर्शिता पर टिप्पणी करते हुए, राज्य आबकारी आयुक्तालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “MSTC लिमिटेड के माध्यम से लाइव ई-बोली प्लेटफॉर्म पर जाने से हम विवेकाधीन आवंटन और बिचौलियों के हस्तक्षेप की परंपरा को समाप्त कर रहे हैं। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि बाजार इन लाइसेंसों का उचित मूल्य निर्धारित करे और राजस्व सीधे राज्य के विकास कोष में जाए।”
सामाजिक न्याय और बोली प्रक्रिया
सामाजिक समावेश की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य ने नीलामी प्रक्रिया के भीतर आरक्षण कोटा एकीकृत किया है। आवंटन में अनुसूचित जाति-A के लिए 6%, अनुसूचित जाति-B के लिए 6%, अनुसूचित जाति-C के लिए 5% और अनुसूचित जनजातियों के लिए 7% आरक्षण शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि आबकारी क्षेत्र के वाणिज्यिक लाभ ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बीच वितरित हों।
संभावित बोलीदाताओं के लिए पंजीकरण अब सक्रिय है। लाइव ई-बोली 13 जनवरी से 20 जनवरी, 2026 के बीच आयोजित की जाएगी। प्रतिभागियों को MSTC लिमिटेड प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराना होगा, साथ ही प्रति लाइसेंस ₹50,000 का गैर-वापसीयोग्य आवेदन शुल्क देना होगा। प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने के लिए, वॉलेट भुगतान नीलामी स्लॉट से 48 घंटे पहले पूरा किया जाना अनिवार्य है।
पृष्ठभूमि: राजस्व मॉडल में बदलाव
वर्षों से, कर्नाटक में शराब लाइसेंसिंग काफी हद तक सीमित थी, जिससे मौजूदा लाइसेंसों के लिए एक फलता-फूलता माध्यमिक बाजार और उच्च प्रीमियम तैयार हो गया था। सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से “अप्रयुक्त” कोटा खोलकर, सरकार प्रभावी रूप से मांग को विनियमित कर रही है और एक ऐसे आकर्षक राजस्व स्रोत का लाभ उठा रही है जिसका पहले कम उपयोग किया गया था। इस कदम से अन्य राज्यों के लिए भी अपने आबकारी विभागों को आधुनिक बनाने और गैर-कर राजस्व बढ़ाने का एक उदाहरण पेश होने की उम्मीद है।
