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मेसी कार्यक्रम विवाद: पुलिस ने की 100 करोड़ के घोटाले की जांच

In National
December 20, 2025
RajneetiGuru.com - मेसी कार्यक्रम विवाद पुलिस ने की 100 करोड़ के घोटाले की जांच - Image Credited by MoneyControl

साल्ट लेक स्टेडियम में आयोजित विवादित लियोनेल मेसी प्रमोशनल इवेंट की जांच ने उस समय नाटकीय मोड़ ले लिया, जब बिधाननगर पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने 100 करोड़ रुपये के संदिग्ध वित्तीय घोटाले की जांच का दायरा बढ़ा दिया। शुक्रवार को, पुलिस ने मुख्य आयोजक सताद्रु दत्ता के रिशरा स्थित आवास पर एक हाई-प्रोफाइल छापेमारी की, जिसमें अत्यधिक विलासितापूर्ण संपत्तियों का खुलासा हुआ। जांचकर्ताओं का मानना है कि इन संपत्तियों का संबंध कथित अनियमितताओं की कमाई से हो सकता है।

शानदार संपत्तियां और प्रक्रियात्मक छापेमारी

तीन मंजिला बंगले पर छापेमारी के दौरान, जांचकर्ता वहां की सुविधाओं के पैमाने को देखकर दंग रह गए। इस संपत्ति में एक निजी स्विमिंग पूल, एक विशाल हाई-टेक कार्यालय और छत पर बना एक पेशेवर स्तर का फुटबॉल टर्फ शामिल था। हालांकि पुलिस ने इस अभियान को “प्रक्रियात्मक तलाशी” बताया, लेकिन उन्होंने वहां घंटों तक समझौते के दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की जांच की।

दत्ता, जिन्हें स्टेडियम में मची भगदड़ जैसी स्थिति के बाद 13 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था, से वर्तमान में “नियोजन में गंभीर खामियों” के बारे में पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अब जांच का ध्यान केवल कुप्रबंधन से हटकर व्यवस्थित वित्तीय भ्रष्टाचार पर केंद्रित हो गया है।

100 करोड़ रुपये का वित्तीय सुराग

बिधाननगर पुलिस के जासूसी विभाग के अनुसार, अनियमितताएं अर्जेंटीना के दिग्गज खिलाड़ी की उपस्थिति के मुद्रीकरण (monetization) के इर्द-गिर्द घूमती हैं। जांचकर्ताओं का आरोप है कि आयोजक निकाय ने कार्यक्रम के दौरान एक समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई।

एसआईटी का प्राथमिक ध्यान “फोटो-ऑप घोटाले” पर है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि चुनिंदा उपस्थित लोगों से लियोनेल मेसी के साथ एक तस्वीर के लिए कथित तौर पर 10 लाख से 30 लाख रुपये के बीच शुल्क लिया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन भुगतानों के लिए कोई आधिकारिक रसीद या डिजिटल लेनदेन रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। एसआईटी में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, “इस कार्यक्रम में बिना हिसाब-किताब के नकदी का लेनदेन चौंकाने वाला है। हम आधिकारिक बैंकिंग चैनलों को दरकिनार करने के एक व्यवस्थित प्रयास की जांच कर रहे हैं।”

इसके अलावा, एसआईटी ने टिकटों की बिक्री में भारी विसंगति को चिह्नित किया है। युवा भारती क्रीड़ांगन की 66,000 सीटों की क्षमता के बावजूद, आयोजकों ने दावा किया कि उन्होंने केवल 33,000 टिकट बेचे और शेष मुफ्त में वितरित किए गए। अधिकारियों ने इस दावे पर संदेह व्यक्त किया है, जिनका तर्क है कि इस तरह के मॉडल से भारी वाणिज्यिक घाटा होगा—जो दत्ता के घर पर मिली विलासितापूर्ण संपत्तियों के साथ मेल नहीं खाता है।

विशेषज्ञ विश्लेषण और पृष्ठभूमि

यह कार्यक्रम, जिसे मूल रूप से भारतीय फुटबॉल प्रशंसकों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा गया था, वीआईपी पासों की अधिक बिक्री और सुरक्षा प्रोटोकॉल के पूरी तरह विफल होने के कारण एक बुरे सपने में बदल गया। ऐतिहासिक रूप से, भारत में हाई-प्रोफाइल हस्तियों की यात्राओं में अक्सर “शैडो टिकटिंग” और “कैश-फॉर-एक्सेस” जैसी समस्याएं देखी गई हैं, लेकिन मेसी कार्यक्रम के विवाद का पैमाना अभूतपूर्व है।

व्यापक निहितार्थों पर टिप्पणी करते हुए, अनुभवी खेल प्रबंधन सलाहकार और वित्तीय विश्लेषक सुजय घोष ने कहा: “उच्च-मूल्य वाले खेल आयोजनों में पारदर्शिता की कमी अक्सर निजी प्रमोटरों के लिए एक केंद्रीकृत नियामक ढांचे की कमी के कारण होती है। जब आपके पास मेसी जैसा वैश्विक आइकन होता है, तो पहुंच का ‘ब्लैक मार्केट’ मूल्य आधिकारिक टिकट राजस्व से पांच से दस गुना अधिक हो जाता है। यदि 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा सही है, तो यह आयोजक निकाय के भीतर कॉर्पोरेट गवर्नेंस की पूर्ण विफलता को दर्शाता है।”

निष्कर्ष

जैसे-जैसे एसआईटी पदाधिकारियों और उनके सहयोगियों के बैंक खातों की जांच कर रही है, कोलकाता पुलिस केंद्रीय एजेंसियों को शामिल करने की तैयारी कर रही है यदि मनी लॉन्ड्रिंग का सुराग राज्य की सीमाओं से बाहर निकलता है। फिलहाल, इस “ड्रीम इवेंट” ने निराश प्रशंसकों और एक बड़े वित्तीय घोटाले की छाप छोड़ी है, जो शहर की खेल विरासत पर भारी पड़ रही है।

Author

  • Anup Shukla

    अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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