लोकसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी जर्मनी की राजधानी बर्लिन पहुंच गए हैं। इस दौरे के दौरान वह भारतीय ओवरसीज़ कांग्रेस (IOC) के नेताओं से मुलाकात करेंगे और प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संवाद करेंगे। कांग्रेस नेताओं के अनुसार, यह यात्रा विदेशों में पार्टी संगठन को मजबूत करने और गैर-निवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के उद्देश्य से की जा रही है।
बर्लिन पहुंचने पर राहुल गांधी का स्वागत भारतीय ओवरसीज़ कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने किया। उनके कार्यक्रम में यूरोप के विभिन्न देशों से आए IOC प्रतिनिधियों के साथ बैठक और संबोधन शामिल है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस दौरान प्रवासी भारतीयों की चिंताओं, उनकी भूमिका और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में उनके योगदान पर विचार-विमर्श होगा।
यूरोप में IOC के एक वरिष्ठ पदाधिकारी औसाफ खान ने कहा कि राहुल गांधी की यह यात्रा संगठन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “प्रवासी भारतीयों के साथ सीधा संवाद बेहद आवश्यक है। इससे उनके मुद्दों को समझने और कांग्रेस की नीतियों को साझा करने का अवसर मिलता है।”
हालांकि, राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर देश में राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उनके विदेश दौरे पर सवाल उठाए हैं और इसकी टाइमिंग को लेकर आलोचना की है।
कांग्रेस नेताओं ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रवासी भारतीयों से संवाद आज की राजनीति का अहम हिस्सा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद और यात्राएं किसी भी बड़े लोकतंत्र में सामान्य बात हैं और इससे देश की वैश्विक उपस्थिति मजबूत होती है।
कांग्रेस के विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने भी कहा कि ऐसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम पहले से तय होते हैं और इन्हें गंभीरता से लिया जाता है। उनके अनुसार, प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद से वैश्विक दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलती है।
अपने दौरे के दौरान राहुल गांधी भारतीय मूल के छात्रों, पेशेवरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात करेंगे। इन संवादों में शिक्षा, रोजगार, सामाजिक समानता और वैश्विक स्तर पर भारत की भूमिका जैसे विषयों पर चर्चा होने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रवासी भारतीय समुदाय का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और राजनीतिक दलों के लिए उनसे संवाद बनाए रखना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे दौरों से न केवल संगठनात्मक संपर्क मजबूत होते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की राजनीतिक छवि पर भी असर पड़ता है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की बर्लिन यात्रा लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और संविधान की भावना को वैश्विक स्तर पर रखने की व्यापक पहल का हिस्सा है। यात्रा के परिणामों पर देश की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई हैं।
