नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित VB-G राम जी विधेयक ग्रामीण रोजगार गारंटी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 का स्थान लेगा, जो पिछले दो दशकों से ग्रामीण रोजगार सुरक्षा का प्रमुख आधार रहा है। सरकार का उद्देश्य ग्रामीण आजीविका व्यवस्था को अधिक प्रभावी, संरचित और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।
ग्रामीण विकास नीति से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक रोजगार गारंटी के स्वरूप को बदलते हुए राज्यों और केंद्र की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करता है। ग्रामीण अर्थशास्त्री डॉ. अरुण कुमार के अनुसार, “नया विधेयक रोजगार की मात्रा बढ़ाने की दिशा में कदम है, लेकिन इसके क्रियान्वयन और वित्तीय प्रभावों को सावधानी से समझना होगा।”
MGNREGA को वर्ष 2005 में ग्रामीण परिवारों को न्यूनतम रोजगार सुरक्षा देने के उद्देश्य से लागू किया गया था। इसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का अकुशल श्रम आधारित रोजगार सुनिश्चित किया गया। इस योजना ने ग्रामीण पलायन को कम करने, आय बढ़ाने और गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
VB-G राम जी विधेयक इसी व्यवस्था को नए नियमों और ढांचे के साथ आगे बढ़ाने का प्रस्ताव करता है।
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रोजगार के दिनों में वृद्धि
नए विधेयक के तहत ग्रामीण परिवारों को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिन का रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। यह मौजूदा 100 दिन की सीमा से अधिक है। सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण परिवारों को अतिरिक्त आय मिलेगी और अस्थायी बेरोजगारी की समस्या कम होगी। -
योजना का नाम परिवर्तन
VB-G राम जी विधेयक के तहत MGNREGA का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना करने का प्रस्ताव है। सरकार का तर्क है कि नया नाम व्यापक राष्ट्रीय विकास दृष्टिकोण को दर्शाता है, जबकि कुछ राजनीतिक दल इसे योजना की मूल पहचान से हटने के रूप में देख रहे हैं। -
केंद्र और राज्यों की वित्तीय भागीदारी
नए ढांचे में योजना के खर्च को केंद्र और राज्यों के बीच साझा किया जाएगा। सामान्य राज्यों के लिए 60:40 और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 90:10 का अनुपात प्रस्तावित है। पहले इस योजना में केंद्र सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी अधिक थी। इस बदलाव से राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। -
कृषि मौसम के दौरान रोजगार पर अस्थायी रोक
विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि बुआई और कटाई जैसे प्रमुख कृषि सत्रों के दौरान अधिकतम 60 दिनों तक रोजगार गारंटी रोकी जा सकती है। सरकार का कहना है कि इससे कृषि कार्यों के लिए श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जबकि आलोचक इसे रोजगार की निरंतरता पर प्रभाव डालने वाला कदम मानते हैं। -
साप्ताहिक मजदूरी भुगतान
VB-G राम जी विधेयक के तहत मजदूरी भुगतान की समयसीमा को साप्ताहिक करने का प्रस्ताव है। सरकार का दावा है कि इससे भुगतान में देरी कम होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी। हालांकि, देरी होने पर मुआवजे से जुड़े प्रावधानों को लेकर अभी स्पष्टता की मांग की जा रही है।
इस विधेयक को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। जहां सरकार इसे ग्रामीण सुधार की दिशा में बड़ा कदम बता रही है, वहीं कुछ विपक्षी दलों और श्रमिक संगठनों ने आशंका जताई है कि इससे राज्यों पर बोझ बढ़ सकता है और गरीब श्रमिकों की रोजगार सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
VB-G राम जी विधेयक ग्रामीण रोजगार गारंटी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव प्रस्तुत करता है। रोजगार के दिनों में वृद्धि, वित्तीय ढांचे में संशोधन और कार्यान्वयन के नए नियम इसे MGNREGA से अलग बनाते हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संसद में चर्चा के बाद यह विधेयक किस रूप में लागू होता है और इसका प्रभाव देश के ग्रामीण जीवन पर कैसे पड़ता है।
