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धामी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ दोहराईं

In Politics
November 18, 2025
rajneetiguru.com - उत्तराखंड में धामी ने यूसीसी और सांस्कृतिक संरक्षण पर दी स्पष्टता। Image Credit – The Indian Express

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि राज्य की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान की रक्षा उनकी सरकार के प्रशासनिक दृष्टिकोण का केंद्रीय तत्व है। हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि देवभूमि कहलाने वाले इस राज्य की परंपराओं और सामाजिक मूल्यों को बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि यही सदियों से इसकी पहचान का आधार रहे हैं। उनके ये बयान राज्य में लागू किए जा रहे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर जारी चर्चाओं के बीच आए हैं।

धामी ने कहा कि विधानसभा में पेश किया गया यूसीसी विधेयक समानता सुनिश्चित करने के सिद्धांत पर आधारित है, लेकिन इसका उद्देश्य किसी कठोर दृष्टिकोण को थोपना नहीं है। उन्होंने बताया कि यह कानून एक संतुलित और सर्वसमावेशी कानूनी ढांचा तैयार करने के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा, “जब मैंने विधानसभा में यूसीसी का विधेयक पेश किया था, तब स्पष्ट कर दिया था कि सुझाव और अनुशंसाएँ शामिल की जाएंगी। हम किसी भी तरह की जड़ता के पक्ष में नहीं हैं और अलग-अलग विचारों के लिए खुले हैं।”

मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि उत्तराखंड की जनसंख्या संरचना, तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या और बदलते प्रवासन पैटर्न ने सांस्कृतिक संरक्षण पर चर्चा को और महत्वपूर्ण बनाया है। पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और पर्यटन के कारण कई क्षेत्रों में सामाजिक ढांचे में बदलाव आए हैं। धामी का कहना है कि सरकार का दायित्व केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है, क्योंकि जनता चाहती है कि नीतियाँ राज्य की आध्यात्मिक विरासत के अनुरूप हों।

यूसीसी का समर्थन करने वाले इसे सामाजिक सुधार की दिशा में एक कदम मानते हैं, जबकि इसके आलोचक इसके क्रियान्वयन और विभिन्न समुदायों पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। इन चिंताओं को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक स्तर पर परामर्श जारी है और सरकार सभी प्रासंगिक सुझावों को शामिल करने के पक्ष में है।

विधायी प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी नागरिक अपने आप को उपेक्षित महसूस न करे। चर्चा की प्रक्रिया जारी है और सभी विचारों को नोट किया जा रहा है।” यह बयान दर्शाता है कि प्रशासन की प्राथमिकता जनभागीदारी को मजबूत करना है।

यूसीसी से इतर धामी ने राज्य से जुड़े अन्य मुद्दों—पहाड़ी जिलों से पलायन, बुनियादी ढाँचे की चुनौतियों और विकास व पर्यावरणीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन—पर भी बात की। उनका कहना है कि सांस्कृतिक संरक्षण केवल परंपरा भर नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि विकास नीतियाँ जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप हों।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को एक ऐसे प्रशासनिक मॉडल के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है, जहाँ आर्थिक प्रगति, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पहचान तीनों एकसाथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि राज्य की आध्यात्मिक धरोहर इसे विशिष्ट बनाती है, और इसलिए सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने वाली नीतियाँ अनिवार्य हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धामी के ये बयान उस समय आए हैं जब देशभर में सामाजिक मुद्दों को लेकर बहस बढ़ रही है, और ऐसे में उत्तराखंड का मॉडल महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चूँकि यूसीसी राज्य के प्रशासन में प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है, इसलिए इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया को राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

धामी ने अंत में कहा कि उत्तराखंड की देवभूमि पहचान केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि शासन दर्शन का मूल आधार है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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