चंडीगढ़ — पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) पर एक बार फिर आलोचना का निशाना बनने के आरोप लगे हैं। राज्य सरकार के खिलाफ यह आरोप लगाया गया है कि उसने हाल के महीनों में विपक्ष, पार्टी नेताओं और मीडिया प्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई करके विरोध की आवाज दबाने की कोशिश की है। विशेष रूप से समाचार पत्रों की वैन पर कार्रवाई को लेकर बहस तेज हो गई है।
AAP की पंजाब में सत्ता में आने के बाद से ही यह आरोप समय-समय पर उठते रहे हैं कि सरकार आलोचनात्मक मीडिया और राजनीतिक विरोधियों पर दबाव डाल रही है। इस बार यह मुद्दा उस समय गरमाया जब भाजपा ने AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर ‘शीश महल 2.0’ शब्द का इस्तेमाल किया। भाजपा का कहना है कि पंजाब सरकार का यह रवैया लोकतांत्रिक मानदंडों और प्रेस स्वतंत्रता के खिलाफ है।
हालांकि AAP का पक्ष है कि ये सभी कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया और नियमों के तहत की गई हैं। पार्टी का कहना है कि किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य किसी की आवाज दबाना नहीं बल्कि नियमों का पालन कराना है
पिछले कुछ महीनों में कई अधिकारियों, पत्रकारों और राजनीतिक नेताओं को नोटिस जारी किए गए या उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की गई। इसमें समाचार पत्रों की वैन को विभिन्न शहरों में रोका जाना भी शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम विरोधियों और मीडिया पर दबाव बनाने के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा नेता ने कहा,
“AAP का यह व्यवहार स्पष्ट रूप से लोकतंत्र और प्रेस स्वतंत्रता के लिए खतरा है। जो लोग सवाल पूछते हैं, उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। इसे शीश महल 2.0 कहा जा सकता है।”
AAP पंजाब इकाई के वरिष्ठ नेता ने जवाब में कहा,
“हमने केवल नियमों के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की है। किसी की आवाज़ दबाने का कोई इरादा नहीं था। प्रेस स्वतंत्रता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की कार्रवाइयाँ सियासी माहौल में तनाव पैदा कर सकती हैं। पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता रवीना कौर का कहना है कि, “जब मीडिया और विपक्षी नेताओं पर लगातार दबाव डाला जाता है, तो लोकतंत्र की जड़े कमजोर होती हैं। यह सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चिंता का विषय है।”
AAP समर्थक यह दावा करते हैं कि भाजपा यह मुद्दा राजनीतिक फायदे के लिए उभार रही है, जबकि सरकार का उद्देश्य केवल नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अजय मेहरा का कहना है,
“किसी भी लोकतंत्र में आलोचना और मीडिया स्वतंत्रता अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रशासनिक कार्रवाई का दुरुपयोग या इसका गलत संदेश भेजना राजनीतिक और सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है। AAP को सावधानी से कदम उठाने की जरूरत है।”
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि सरकार पारदर्शिता और संवाद के माध्यम से स्थिति को संभालती है, तो यह विवाद कम किया जा सकता है।
पंजाब में AAP के खिलाफ अखबार वैन कार्रवाई और विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई के आरोपों ने राज्य में राजनीतिक बहस को गरम कर दिया है। जबकि भाजपा और विपक्ष इसे लोकतंत्र और प्रेस स्वतंत्रता पर खतरे के रूप में देख रहे हैं, AAP इसे केवल नियम पालन की प्रक्रिया मानती है।
आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे को राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों दृष्टि से कैसे संभालती है और क्या इससे भविष्य में राज्य की राजनीतिक स्थिरता प्रभावित होगी।
