लालू प्रसाद यादव की शक्तिशाली राजनीतिक विरासत के एक प्रमुख उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेज प्रताप यादव ने अब बिहार की राजनीति में अपना अलग रास्ता चुन लिया है और अपनी चुनाव बाद की रणनीति को लेकर एक गंभीर बयान दिया है। जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) के नेता ने घोषणा की है कि चल रहे विधानसभा चुनावों के बाद “सभी विकल्प खुले हैं”, यह टिप्पणी गहरे पारिवारिक और पार्टी विभाजन के बीच नए राजनीतिक गठबंधन तलाशने की संभावित इच्छा का संकेत देती है।
पत्रकारों से बात करते हुए, तेज प्रताप अपने भविष्य के बारे में स्पष्ट थे, उन्होंने कहा, “विकल्प खुले हैं। हजारों विकल्प हैं… जीत के बाद, सभी विकल्प खुले हैं।” उन्होंने संभावित गठबंधनों पर सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया, लेकिन अपना ध्यान अपने निर्वाचन क्षेत्र, महुआ पर केंद्रित किया, और वहां के लोगों को अपना “एकमात्र परिवार” बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी लड़ाई विकास पर केंद्रित है: “विरोधी कोई भी हो, महुआ की जनता रोजगार चाहती है, और लोग रोजगार चुनते हैं।” स्थानीय मुद्दों पर उनका यह जोर और राजद नेतृत्व से दूरी उनकी एकल राजनीतिक यात्रा को रेखांकित करती है।
विभाजन की पृष्ठभूमि
तेज प्रताप का यह एकल अभियान मई 2025 में आंतरिक विवादों और एक दीर्घकालिक व्यक्तिगत संबंध के विवरण के सार्वजनिक होने के बाद राजद से उनके निष्कासन के बाद आया है। इसके बाद उन्होंने जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) का गठन किया, जिसका चुनाव चिन्ह श्यामपट्ट (ब्लैकबोर्ड) है। जेजेडी ने मौजूदा बिहार विधानसभा चुनावों में 22 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें परिवार के राजनीतिक गढ़, राघोपुर में भी चुनौती शामिल है। राजनीतिक परिदृश्य को एक “युद्ध का मैदान” बताते हुए जहां “कोई भाई नहीं” है, महाभारत से भगवान कृष्ण को उद्धृत करने वाले उनके आध्यात्मिक वक्तव्य उनके छोटे भाई, तेजस्वी यादव के साथ पारिवारिक दरार की गहराई को दर्शाते हैं।
राजनीतिक सौदेबाजी पर विशेषज्ञ की राय
‘सभी विकल्प खुले हैं’ की टिप्पणी ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों के बीच तत्काल अटकलें पैदा कर दी हैं। वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार, डॉ. नीरजा चौधरी, इस बयान को एक सोची समझी चाल मानती हैं: “तेज प्रताप अनिवार्य रूप से राजद के बैनर से स्वतंत्र अपनी प्रासंगिकता स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। यह केवल एक व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि अपनी भविष्य की राजनीतिक सौदेबाजी की शक्ति को बरकरार रखते हुए लालू की विरासत का एक हिस्सा बनाए रखने का प्रयास है। उनका बयान भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए दरवाजे खुले रखता है, यदि चुनाव बाद किसी भी पक्ष को महत्वपूर्ण समर्थन की आवश्यकता हो।”
हालाँकि उनकी माँ, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दोनों बेटों को तटस्थ आशीर्वाद दिया है, लेकिन तेज प्रताप मतदाताओं को प्राथमिकता देने के अपने फैसले पर कायम हैं। आने वाले सप्ताह यह तय करेंगे कि जेजेडी नेता की साहसिक घोषणा ठोस राजनीतिक प्रभाव में बदल पाती है या नहीं।
