तमिलनाडु में मतदाता सूची सत्यापन के लिए शुरू हुई स्टेट इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के पहले दिन मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के क्षेत्र कोलाथुर में मिश्रित नतीजे देखने को मिले। बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने घर-घर जाकर मतदाता जानकारी की पुष्टि की, लेकिन बारिश और खराब मौसम ने उनकी रफ्तार थाम दी।
वार्ड 64 के पेरुमल कोइल स्ट्रीट इलाके में प्रत्येक BLO को दिनभर में 50 घरों का लक्ष्य दिया गया था, मगर शाम तक अधिकांश अधिकारी केवल 30-32 घरों तक ही पहुँच पाए। लगातार बारिश और पानी भरने के कारण गलियों में आवागमन मुश्किल हो गया।
दिलचस्प बात यह रही कि डीएमके और एआईएडीएमके दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता साथ-साथ घरों का दौरा करते नजर आए। एक बूथ पर डीएमके की बूथ एजेंट अपनी एआईएडीएमके समकक्ष के साथ मिलकर मतदाताओं की जानकारी जांच रही थीं।
एक BLO ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने सुबह जल्दी शुरू किया था, पर बारिश ने मुश्किल बढ़ा दी। लोग सहयोगी थे, लेकिन कई घरों में लोग काम पर होने के कारण मौजूद नहीं थे।”
स्टेट इंटेंसिव रिवीजन (SIR) भारत निर्वाचन आयोग की वार्षिक प्रक्रिया है, जिसमें राज्यभर के मतदाता विवरणों की जाँच और अद्यतन किया जाता है। अधिकारी मतदाताओं के नाम, पते और पात्रता की पुष्टि करते हैं ताकि सूची में त्रुटियाँ या डुप्लिकेट नाम न रहें।
मुख्यमंत्री स्टालिन का क्षेत्र कोलाथुर राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। यहाँ इस तरह की प्रक्रिया प्रशासनिक दक्षता और निष्पक्षता की परीक्षा के रूप में देखी जाती है।
बारिश के अलावा BLOs को ऊपरी मंजिलों और गेटेड सोसाइटियों तक पहुँचने में कठिनाई हुई। कई घरों में लोग काम पर चले गए थे, जिससे अधिकारियों को अगले दिन पुनः दौरे करने की योजना बनानी पड़ी।
कई जगह मोबाइल नेटवर्क कमजोर होने से डेटा अपलोड करने में देरी हुई, लेकिन लोगों का सहयोग संतोषजनक रहा।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आर. गोपीनाथ का कहना है, “ऐसे सत्यापन अभियान न केवल प्रशासनिक तत्परता बल्कि नागरिकों और शासन के बीच विश्वास की परीक्षा भी होते हैं। कोलाथुर का अनुभव तमिलनाडु के अन्य क्षेत्रों के लिए उदाहरण बनेगा।”
हालाँकि SIR कार्यक्रम पूरी तरह गैर-राजनीतिक है, लेकिन इसकी शुरुआत एक ऐसे क्षेत्र में हुई है जहाँ राजनीतिक प्रतिस्पर्धा गहरी है। विरोधी दलों के कार्यकर्ताओं का साथ काम करना एक दुर्लभ और सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
बारिश के बावजूद अभियान अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा। प्रशासन ने मौसम को देखते हुए वैकल्पिक योजना तैयार की है, जिसमें डिजिटल सत्यापन और पुनर्निर्धारित दौरे शामिल हैं।
कोलाथुर के नागरिकों के लिए यह अभियान उनके मतदाता कर्तव्य की याद दिलाने के साथ-साथ भारत की जमीनी लोकतंत्र की जटिलताओं को भी उजागर करता है।
