बिहार की राजनीति में एक बार फिर पुराने दिनों की झलक देखने को मिली, जब राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को अपने करीबी सहयोगी और उम्मीदवार रितलाल यादव के समर्थन में दानापुर में पहला रोड शो किया। रितलाल यादव इस समय रंगदारी के आरोप में जेल में बंद हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ अब भी बरकरार है।
सड़कों पर हजारों समर्थक जमा हुए, पार्टी के झंडे लहराए गए और “लालू यादव जिंदाबाद” के नारे गूंजते रहे। 76 वर्षीय नेता ने खुली गाड़ी से लोगों का अभिवादन किया और चुनावी जोश दिखाया। हालांकि, इस उत्साह के साथ बिहार के पुराने विवाद भी फिर से उभर आए।
लालू यादव का यह रोड शो बिहार की राजनीति के उस दौर की याद दिलाता है जब भीड़, जोश और जनभावनाओं पर आधारित राजनीति अपने चरम पर थी। दानापुर में रितलाल यादव का प्रभाव अब भी मजबूत है, भले ही वे जेल में हों। लेकिन उनकी उम्मीदवारी ने आरजेडी के उस पुराने सवाल को फिर जगा दिया है — क्या पार्टी अब भी विवादित छवि वाले नेताओं पर दांव लगाना जारी रखेगी?
आरजेडी नेताओं का कहना है कि रितलाल यादव जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। एक प्रवक्ता ने कहा, “दानापुर की जनता जानती है कि उनके मुश्किल समय में कौन उनके साथ खड़ा था। लालूजी वफादारी और जनसंपर्क को सबसे बड़ा मूल्य मानते हैं।”
लालू प्रसाद यादव की यह सक्रिय वापसी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए नई ऊर्जा लेकर आई है। लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं और कानूनी मामलों में उलझे रहने के बाद, उनका फिर से चुनावी मैदान में उतरना आरजेडी के पारंपरिक मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश मानी जा रही है।
वहीं, जेडीयू और भाजपा ने इसे “पुरानी राजनीति की वापसी” बताया। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “लालू यादव अब भी वही पुरानी राजनीति कर रहे हैं। अपराध के आरोप झेल रहे उम्मीदवार के लिए प्रचार करना गलत संदेश देता है।”
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम लालू की शैली का हिस्सा है — भावनात्मक और साहसी राजनीति। पटना विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ ने कहा, “लालू यादव जानते हैं कि भीड़ से जुड़ाव ही उनकी ताकत है, चाहे आलोचना कितनी भी हो।”
दानापुर का यह रोड शो लालू यादव की लोकप्रियता की याद दिलाता है। भीड़ में उठे नारे और लालू के प्रति उत्साह ने यह दिखाया कि उनकी पकड़ अब भी बरकरार है। लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि क्या बिहार फिर पुराने दौर की राजनीति की ओर लौट रहा है?
जैसे-जैसे बिहार चुनाव नजदीक आ रहे हैं, आरजेडी अपने पुराने वोट बैंक को फिर से एकजुट करने की कोशिश में है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या लालू यादव की यह वापसी युवाओं और नए मतदाताओं को भी प्रभावित कर पाएगी।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, “लालू यादव की वापसी भावनात्मक रूप से मजबूत है, लेकिन रणनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण। उन्हें यह साबित करना होगा कि उनकी राजनीति अब अतीत की नहीं, भविष्य की बात करती है।”
