नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसी बीच पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अगुवाई में उठाए गए कदमों पर नजर बनी हुई है। उनके कार्यकाल में कई नीतियाँ विवादों में रही हैं, और अब सवाल उठ रहा है कि क्या वे वास्तव में दिल्ली की हवा को स्वच्छ कर पाएँगे।
सिरसा ने अपने कार्यकाल में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कदम उठाए। इनमें प्रमुख हैं:
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पुरानी वाहन ईंधन नीति: 15 वर्ष से पुराने पेट्रोल और 10 वर्ष से पुराने डीज़ल वाहनों को ईंधन उपलब्ध न कराने का प्रस्ताव। हालांकि इसे लागू करने में तकनीकी और प्रशासनिक बाधाएँ आईं, जिससे यह नीति फिलहाल स्थगित है।
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क्लाउड‑सीडिंग प्रयोग: राजधानी में बारिश के माध्यम से प्रदूषण कम करने की योजना बनाई गई। इसका उद्देश्य मौसम को नियंत्रित कर वायु में नमी बढ़ाकर धूल और प्रदूषण कणों को कम करना था।
सिरसा का कहना है, “हम वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हमारी नीतियाँ वैज्ञानिक आधार पर तैयार की जा रही हैं और जनता के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा रही है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि क्लाउड‑सीडिंग जैसी तकनीकें समय‑समय पर परिणाम दिखा सकती हैं, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली का वायु प्रदूषण कई स्रोतों से आता है — जैसे वाहनों का धुआँ, निर्माण कार्य, औद्योगिक उत्सर्जन और आसपास के राज्यों से आने वाला धुआँ। केवल बारिश या पुराने वाहन प्रतिबंध जैसी नीतियाँ अस्थायी राहत देती हैं, स्थायी सुधार के लिए व्यापक और समन्वित रणनीति की आवश्यकता है।
दिल्ली के नागरिकों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ लोग क्लाउड‑सीडिंग प्रयासों को स्वागत योग्य मानते हैं, जबकि कई का मानना है कि प्रशासनिक सुधार और कड़ाई से वाहन नियम लागू करना अधिक प्रभावी होगा।
सिरसा के सामने अब यह चुनौती है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। इसमें शामिल हैं:
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वाहनों और उद्योगों की निगरानी और नियमों का सख्ती से पालन।
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राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में हरित क्षेत्र बढ़ाना।
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मौसम आधारित उपायों को वैज्ञानिक ढंग से लागू करना।
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आम जनता को प्रदूषण और नीतियों के बारे में नियमित जानकारी देना।
दिल्ली की हवा साफ़ करना आसान काम नहीं है। सिरसा के प्रयासों में स्पष्ट रणनीति और समय पर परिणाम दिखाना जरूरी है। राजधानी की बढ़ती आबादी, औद्योगिकीकरण और परिवहन के दबाव के बीच, सिर्फ़ अस्थायी उपाय पर्याप्त नहीं होंगे। अगर मंत्री और प्रशासनिक टीम सफल होती है, तो ही दिल्लीवासियों को साफ़ और स्वस्थ वातावरण मिल सकेगा।
