लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक नया जिला बनने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह के नाम पर यह नया जिला बनाने की मांग उनके पुत्र राजवीर सिंह द्वारा की गई है। सरकार ने इस मांग पर प्रारंभिक सर्वे शुरू कर दिया है और अलीगढ़ तथा बुलंदशहर के कुछ क्षेत्रों को नए जिले में शामिल करने की संभावना तौली जा रही है।
राजवीर सिंह, जो पूर्व सांसद भी रहे हैं, ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि अलीगढ़ और बुलंदशहर की सीमाओं से लगते क्षेत्रों को मिलाकर ‘कल्याण सिंह नगर’ नामक एक नया जिला गठित किया जाए। उनका कहना है कि यह क्षेत्र कल्याण सिंह की कर्मभूमि रहा है और यहां के लोग आज भी उनसे गहरा संबंध महसूस करते हैं।
राजवीर सिंह ने अपने पत्र में लिखा, “यह क्षेत्र विकास की दृष्टि से पिछड़ा रहा है। यदि नया जिला बनता है, तो प्रशासनिक सुविधाएं स्थानीय स्तर पर सुगमता से उपलब्ध हो सकेंगी और जनता को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।”
राजस्व विभाग के प्रारंभिक इनपुट के अनुसार, अलीगढ़ की अतरौली और गंगीरी तहसील के साथ बुलंदशहर की डिबाई तहसील को मिलाकर यह नया जिला बनाने पर विचार हो रहा है। इन क्षेत्रों की भौगोलिक निकटता और जनसंख्या घनत्व को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने फिलहाल सर्वे प्रक्रिया शुरू की है।
विभाग का मत है कि अलीगढ़ और बुलंदशहर दोनों ही बड़े और घनी आबादी वाले जिले हैं। ऐसे में यदि इनसे कुछ भाग अलग किए जाते हैं, तो प्रशासनिक कामकाज और तेज़ हो सकता है।
राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह पूरा विचार अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है। “फिलहाल सिर्फ़ सर्वे चल रहा है ताकि यह समझा जा सके कि नया जिला बनाने से प्रशासनिक ढांचे पर क्या प्रभाव पड़ेगा,” उन्होंने कहा।
सूत्रों के अनुसार, सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार आंतरिक स्तर पर चर्चा करेगी और फिर जरूरत पड़ी तो औपचारिक प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा जा सकता है।
अतरौली तथा डिबाई क्षेत्र के लोगों में इस प्रस्ताव को लेकर खुशी देखी जा रही है। स्थानीय व्यापारी संघों ने कहा कि नया जिला बनने से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और तेज़ी आएगी। कई लोगों का मानना है कि नए मुख्यालय के स्थापित होने से रोज़गार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
कल्याण सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन का अधिकांश हिस्सा अतरौली क्षेत्र से जुड़कर बिताया। उनके नाम पर जिला बनना ना सिर्फ़ उनकी राजनीतिक विरासत को सम्मान देगा, बल्कि भाजपा के लिए क्षेत्रीय स्तर पर सहानुभूति भी बढ़ा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण संदेश भी दे सकता है।
नए जिले के निर्माण के लिए सरकार को पहले सर्वे रिपोर्ट के आधार पर राजस्व और भौगोलिक सीमाओं का पुनर्गठन करना होगा। इसके बाद राज्य कैबिनेट से अनुमोदन लेना ज़रूरी होगा। फिर राजपत्र में सूचना जारी की जाएगी, जिसके बाद नया जिला औपचारिक रूप से अस्तित्व में आ जाएगा।
यह पूरा प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है, क्योंकि इसमें प्रशासनिक ढांचे, अधिकारियों की तैनाती और बजटीय प्रावधानों पर विस्तृत काम करना होता है।
‘कल्याण सिंह नगर’ जिले का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक संरचना में एक नए अध्याय की संभावना जगा रहा है। भले ही यह अभी प्रारंभिक चरण में है, पर यह साफ़ है कि सरकार जनभावनाओं और विकास के संतुलन के बीच सावधानी से कदम उठा रही है। अगर सभी प्रक्रियाएं सफल रहीं, तो उत्तर प्रदेश जल्द ही अपना 76वां जिला देख सकता है।
