महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का हालिया बयान — “दिल्ली दूर है” — राज्य की राजनीति में हलचल मचा रहा है। नागपुर में दिए गए इस बयान को जहां कुछ लोगों ने हल्के-फुल्के अंदाज में लिया, वहीं राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा और उसके सहयोगी दलों के बीच चल रही सत्ता समीकरण की दिशा में एक गहरा संकेत मान रहे हैं।
फडणवीस ने बाद में कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी मज़ाक में की थी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे अलग-अलग तरह से समझा जा रहा है। कुछ इसे शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अजित पवार की एनसीपी को संदेश मान रहे हैं कि वे राज्य की सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखेंगे, जबकि अन्य इसे भाजपा कार्यकर्ताओं को यह भरोसा दिलाने के रूप में देख रहे हैं कि पार्टी संगठन पर उनका नियंत्रण बरकरार है।
यह बयान उस समय आया जब महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हैं। भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) की गठबंधन सरकार में नेतृत्व और शक्ति संतुलन को लेकर अंदरखाने चर्चा चल रही है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे दिल्ली की राजनीति में भूमिका निभा सकते हैं, तो फडणवीस मुस्कराते हुए बोले, “मैं कहीं नहीं जा रहा हूं, दिल्ली बहुत दूर है।
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने तंज कसते हुए कहा, “यह बयान दिखाता है कि फडणवीस भाजपा नेतृत्व से खुश नहीं हैं। पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है।”
वहीं शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा, “जब दिल्ली दूर लगने लगती है, तब मुंबई की जमीन खिसकने लगती है। सत्ता में दरार साफ दिख रही है।”
भाजपा नेताओं ने इन अटकलों को नकारते हुए कहा कि फडणवीस पार्टी के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह बयान केवल यह दर्शाने के लिए था कि उनका ध्यान महाराष्ट्र पर ही केंद्रित है।”
2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहने वाले फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्रीय चेहरा बने हुए हैं। 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से अलग होकर भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई, तब फडणवीस को इस रणनीति का सूत्रधार माना गया।
हालांकि उन्होंने उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया, इसे राजनीतिक संयम और दीर्घकालिक रणनीति के रूप में देखा गया। फिर भी उनके दिल्ली जाने की अटकलें लगातार उठती रही है
राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश बाल ने कहा, “फडणवीस का ‘दिल्ली दूर है’ बयान प्रतीकात्मक है। यह संकेत है कि महाराष्ट्र ही उनका राजनीतिक क्षेत्र है, और दिल्ली जाने की अटकलें निराधार हैं।”
उन्होंने यह भी कहा, “यह संदेश उनके सहयोगियों को भी है कि भले ही सत्ता में साझेदारी हो, लेकिन नेतृत्व की डोर अभी भी फडणवीस और भाजपा के हाथों में है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब सभी दल आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटे हैं। भाजपा अंदरूनी असंतोष और सीट बंटवारे को लेकर चुनौतियों का सामना कर रही है, वहीं विपक्षी महा विकास आघाड़ी गठबंधन इसे सरकार की कमजोरी के रूप में पेश कर रहा है।
इसलिए, “दिल्ली दूर है” बयान केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश है — कि फडणवीस अभी भी महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे मजबूत चेहरों में से एक बने हुए हैं।
