
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई में गहरी दरार साफ दिखाई देने लगी है। टिकट वितरण को लेकर नेताओं के बीच खुलेआम आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने राज्य नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए हैं—पैसे के बदले टिकट देने से लेकर पार्टी को ‘कॉर्पोरेट स्टाइल’ में चलाने तक।
कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ विधायकों और पूर्व पदाधिकारियों ने दावा किया है कि टिकटों के लिए बड़े पैमाने पर पैसों का लेन-देन हुआ है। उनका आरोप है कि योग्य और पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर उन उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई जिन्होंने आर्थिक सहयोग देने का वादा किया।
पार्टी के एक विधायक ने कहा कि “कांग्रेस अब विचारधारा नहीं, संपर्क और धन के आधार पर चल रही है। जो टिकट खरीद सकते हैं, वही प्रत्याशी बन रहे हैं।”
कई असंतुष्ट नेताओं ने आरोप लगाया है कि बिहार कांग्रेस को अब एक राजनीतिक संगठन की तरह नहीं बल्कि एक निजी कंपनी की तरह चलाया जा रहा है। उनके मुताबिक, पार्टी के फैसले स्थानीय कार्यकर्ताओं या पुराने नेताओं से राय लिए बिना किसी बाहरी ‘कंसल्टेंट’ की सलाह पर लिए जा रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, इन आरोपों से यह साफ झलकता है कि पार्टी के भीतर असंतोष गहराता जा रहा है, जो चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
बिहार कांग्रेस ने अब तक लगभग 60 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। लेकिन टिकटों के चयन को लेकर असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि कई पुराने और लोकप्रिय कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ किया गया।
इन असंतुष्टों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने उम्मीदवारों के चयन में जातीय और सामाजिक संतुलन की अनदेखी की, जिससे基层 स्तर पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो रही है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि टिकट वितरण में देरी और बार-बार बदलाव ने कार्यकर्ताओं में भ्रम और असंतोष दोनों पैदा किए हैं। इससे कांग्रेस की चुनावी रणनीति कमजोर होती दिख रही है।
कांग्रेस इस समय राजद और अन्य दलों के साथ महागठबंधन का हिस्सा है। लेकिन हाल के दिनों में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच मतभेद गहरे हुए हैं। दोनों दलों में कई सीटों पर सीधी टक्कर की संभावना बन रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “कांग्रेस का आंतरिक विवाद महागठबंधन की एकजुटता को कमजोर कर सकता है, जिससे विपक्षी दलों को सीधा फायदा होगा।”
टिकट विवाद अब सड़कों पर भी दिखने लगा है। पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए पार्टी नेतृत्व पर ‘टिकट बेचने’ का आरोप लगाया। कई जिलों में पार्टी दफ्तरों के बाहर नाराज कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाए और चेतावनी दी कि अगर भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी, तो वे निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।