पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर राजनीतिक गतिविधियों की दिशा में कदम रखा है। इस कदम ने उनके छह वर्षों से लंबित इस्तीफे और सिविल सेवा के नियमों पर नया ध्यान आकर्षित किया है।
गोपीनाथन ने कहा, “मुझे नहीं पता कि सरकार का उद्देश्य क्या है, लेकिन छह वर्षों तक मेरा इस्तीफा लंबित रखने का प्रभाव यह रहा है कि मुझे परेशान करना और मेरी विश्वसनीयता को कम करना।” उनका यह बयान लंबे समय से चल रहे विवाद को उजागर करता है कि क्या सरकारी प्रक्रिया का उपयोग व्यक्तिगत या राजनीतिक रूप से अधिकारियों को सीमित करने के लिए किया जा सकता है।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद गोपीनाथन का स्वागत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने किया। पार्टी ने उनके प्रशासनिक अनुभव और नागरिक सेवा में योगदान की सराहना की।
IAS और अन्य सिविल सेवा अधिकारियों के लिए सेवा नियम स्पष्ट हैं। सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हो सकते और न ही किसी राजनीतिक गतिविधि में सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं। यह नियम प्रशासनिक तटस्थता बनाए रखने और जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं।
यदि कोई अधिकारी राजनीति में शामिल होना चाहता है, तो उसे पहले सेवा से औपचारिक रूप से अलग होना या इस्तीफा देना आवश्यक है। लंबित इस्तीफा ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें अधिकारी न तो सेवा में है और न ही पूरी तरह से राजनीतिक भागीदारी करने के लिए स्वतंत्र है।
विश्लेषकों का कहना है कि गोपीनाथन का मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि इस्तीफा लंबित रखने जैसी प्रक्रियाएं कभी-कभी अधिकारियों के करियर और उनकी प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।
गोपीनाथन के कांग्रेस में शामिल होने से यह चर्चा भी उठी है कि सिविल सेवकों और राजनीति के बीच स्पष्ट सीमा होनी चाहिए। प्रशासनिक तटस्थता बनाए रखना आवश्यक है, लेकिन सेवा से मुक्त होने के बाद नागरिकों के रूप में अधिकारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का हक रखते हैं।
उनका मामला यह भी रेखांकित करता है कि लंबित इस्तीफे और औपचारिक प्रक्रियाओं की अस्पष्टता से कैसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।
कन्नन गोपीनाथन का कांग्रेस में शामिल होना केवल एक राजनीतिक कदम नहीं है; यह सिविल सेवा नियमों और उनके अनुपालन के महत्व पर नई बहस भी खड़ी करता है। उनके अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि सेवा नियम और प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना क्यों जरूरी है।
