कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया विदेश दौरे के दौरान दिए गए बयानों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत और उसकी संस्थाओं की छवि खराब करने की कोशिश की है। इस मुद्दे ने सियासी माहौल को गरमा दिया है और भाजपा ने गांधी से राष्ट्रीय हितों को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखने की अपील की है।
तेलंगाना भाजपा प्रवक्ता एन वी सुभाष ने गांधी के बयानों की आलोचना करते हुए उन्हें “भारत और उसके लोकतांत्रिक ढांचे को बदनाम करने की कोशिश” बताया। सुभाष ने कहा कि जब कोई भारतीय नेता विदेश में बोलता है, तो वह केवल अपनी पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है। “राहुल गांधी को याद रखना चाहिए कि उनके विदेशी मंचों पर दिए गए शब्द केवल कांग्रेस तक सीमित नहीं रहते, बल्कि भारत की छवि पर असर डालते हैं। लोकतंत्र और संस्थाओं पर इस तरह का हमला गैर-जिम्मेदाराना है,” सुभाष ने कहा।
भाजपा की यह प्रतिक्रिया राहुल गांधी के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के कामकाज और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए थे। गांधी ने कहा था कि भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को लेकर आशंकाएँ हैं। भाजपा का कहना है कि यह बयान संवैधानिक संस्थाओं की साख पर सीधा हमला है।
सुभाष ने कांग्रेस नेता और राहुल गांधी के करीबी सहयोगी सम पित्रोदा के विवादित बयानों का भी जिक्र किया। उनका कहना था कि पित्रोदा की टिप्पणियाँ पहले ही कांग्रेस को असहज स्थिति में ला चुकी हैं और अब राहुल के विदेशी बयानबाजी ने स्थिति और बिगाड़ दी है। “यह लगातार दिखाई देने वाली प्रवृत्ति बन गई है कि कांग्रेस नेता ऐसे बयान देते हैं जो भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को कमजोर करते हैं,” सुभाष ने आरोप लगाया।
भाजपा की सबसे तीखी प्रतिक्रिया राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर उठाए गए सवालों पर रही। गांधी ने कहा था कि वोटों में गड़बड़ी या “चोरी” हो सकती है। भाजपा ने इसे निराधार और हानिकारक बताते हुए खारिज कर दिया। सुभाष ने कहा कि भारत का चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता और दक्षता के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। “चुनाव आयोग की साख पर विदेश में सवाल उठाकर राहुल गांधी केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर हमला नहीं कर रहे, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की सबसे मजबूत संस्था को कमजोर कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आगामी चुनावों की तैयारियों में जुटी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला इस व्यापक बहस को दर्शाता है कि विपक्षी नेताओं को विदेश में घरेलू नीतियों या संस्थाओं की आलोचना करने की सीमा कहाँ तक होनी चाहिए।
एक वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार ने कहा, “लोकतंत्रों में विपक्ष का सरकार की आलोचना करना सामान्य है, लेकिन जब वही आलोचना विदेश में होती है तो उसे अक्सर राष्ट्र-विरोधी रूप में देखा जाता है। यही वजह है कि भाजपा ने इस मुद्दे को उठाकर राहुल गांधी को राष्ट्रीय हितों से कटे हुए नेता के रूप में पेश किया है।”
अपने बयान के अंत में सुभाष ने राहुल गांधी से राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को समझना चाहिए कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा देश की सीमाओं के भीतर रहनी चाहिए। इस तरह के बयान विदेश में देना गलत संदेश देता है और भारत की छवि को नुकसान पहुँचाता है। राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर होना चाहिए।”
कांग्रेस ने अभी तक इस विवाद पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी के बयान लोकतंत्र की स्थिति को लेकर चिंता जताने के लिए थे, न कि भारत को बदनाम करने के लिए। बावजूद इसके, यह विवाद आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का अहम मुद्दा बना रहेगा।
जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, भाजपा और कांग्रेस दोनों इस प्रकरण को अपने-अपने राजनीतिक नैरेटिव को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करेंगे—भाजपा इसे राष्ट्रीय छवि पर हमला बताएगी, जबकि कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर सवाल उठाने की ज़िम्मेदारी के रूप में पेश करेगी।
