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बीटीसी चुनाव: शुरुआती रुझानों में बीपीएफ आगे

In Politics
September 27, 2025
rajneetiguru.com - बीटीसी चुनाव में शुरुआती बढ़त के साथ बीपीएफ आगे। Image Credit – The Indian Express

बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के चुनावों में इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। शुरुआती रुझानों में हagrama मोहिलारी के नेतृत्व वाली बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे चल रही है। चुनाव अधिकारियों के अनुसार बीपीएफ ने अब तक एक सीट जीत ली है और 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक सीट जीती है और 9 सीटों पर आगे है, जबकि यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) 7 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। ये रुझान संकेत देते हैं कि इस बार त्रिकोणीय मुकाबला काफी रोचक होने वाला है, जो आने वाले वर्षों में बोडोलैंड क्षेत्र की राजनीति को आकार देगा।

एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने कहा, “ये शुरुआती रुझान हैं और अंतिम तस्वीर दिन के अंत तक ही साफ होगी। लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि बीपीएफ कई क्षेत्रों में मजबूत बढ़त बनाए हुए है।”

बीटीसी का गठन 2003 में संविधान की छठी अनुसूची के तहत किया गया था। यह परिषद असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) का प्रशासन देखती है। परिषद में 40 निर्वाचित सदस्य और असम के राज्यपाल द्वारा नामित 6 सदस्य होते हैं। यह निकाय क्षेत्र में शासन और विकास की दिशा तय करता है।

बीपीएफ लंबे समय से बोडोलैंड की राजनीति में प्रमुख शक्ति रही है। हagrama मोहिलारी के नेतृत्व में पार्टी ने कई बार बीटीसी चुनावों में दबदबा बनाया, लेकिन 2020 में बीजेपी और यूपीपीएल के गठबंधन ने सत्ता से बाहर कर दिया। मौजूदा चुनाव बीपीएफ की साख और जनता के विश्वास की बड़ी परीक्षा माने जा रहे हैं।

बीटीसी चुनावों का असर केवल बोडोलैंड तक सीमित नहीं रहता। भाजपा, जो असम और पूरे उत्तर-पूर्व में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है, इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। वहीं यूपीपीएल भी 2020 के बाद से उभरती हुई ताकत के रूप में अपनी जगह मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीपीएफ की 20 से अधिक सीटों पर बढ़त से यह संकेत मिलता है कि मतदाता अब भी मोहिलारी और उनकी पार्टी पर भरोसा करते हैं। हालांकि, त्रिकोणीय मुकाबले के चलते अंतिम परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि बीटीसी चुनाव असम के क्षेत्रीय जनमानस का पैमाना साबित होते हैं, जहां जातीय पहचान, स्वायत्तता और विकास जैसे मुद्दे हमेशा अहम रहते हैं। ये नतीजे 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधनों को प्रभावित करेंगे।

जैसे-जैसे मतगणना आगे बढ़ रही है, राजनीतिक दल और समर्थक नतीजों पर नज़र गड़ाए हुए हैं। देर शाम तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि बीपीएफ सत्ता में वापसी कर पाती है या भाजपा-यूपीपीएल गठबंधन परिषद पर अपनी पकड़ बरकरार रखता है।

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