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न्याय संकल्प: बिहार में महागठबंधन का EBC दांव

In Politics
September 25, 2025
rajneetiguru.com - बिहार चुनाव 2025: EBC के लिए महागठबंधन का न्याय संकल्प। Image Credit – The Indian Express

बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही विपक्षी महागठबंधन ने राज्य की अति पिछड़ी जातियों (EBCs) को साधने के लिए एक नया राजनीतिक अभियान शुरू किया है — 10 सूत्री न्याय संकल्प। यह पहल सामाजिक न्याय की राजनीति पर नया ज़ोर देती है और राज्य के सबसे बड़े एवं निर्णायक मतदाता समूह पर केंद्रित है।

न्याय संकल्प प्रस्ताव में कई अहम वादे किए गए हैं, जिनका उद्देश्य EBC की भागीदारी बढ़ाना और उनके सामाजिक-आर्थिक अधिकार सुरक्षित करना है। इनमें प्रमुख हैं:

  • EBC अत्याचार निवारण कानून: भेदभाव और हिंसा रोकने के लिए विशेष कानून।

  • आरक्षण में वृद्धि: पंचायत और नगर निकायों में EBC आरक्षण को 20% से बढ़ाकर 30% करना।

  • भूमिहीनों को ज़मीन: EBC, OBC, SC और ST वर्गों के भूमिहीनों को आवासीय भूमि का आवंटन।

  • न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व: शिक्षा, सरकारी नौकरियों और स्थानीय नेतृत्व में निष्पक्ष भागीदारी सुनिश्चित करना।

इन उपायों को कल्याण नहीं बल्कि न्याय के नाम पर पेश किया गया है, ताकि EBC समुदाय को लाभार्थी नहीं, बल्कि भागीदार के रूप में देखा जा सके।

EBC बिहार की लगभग 36% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और चुनावी राजनीति में उनका अहम रोल है। लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजनाओं और प्रतिनिधित्व के ज़रिए इस वर्ग को साधे रखा है। महागठबंधन का यह संकल्प उस पकड़ को चुनौती देने, RJD का आधार यादवों से आगे बढ़ाने और कांग्रेस को सामाजिक न्याय की राष्ट्रीय आवाज़ के रूप में स्थापित करने का प्रयास है।

यह घोषणा बिहार की बदलती राजनीति को भी दर्शाती है — जहाँ मंडल युग में व्यापक OBC समूह पर ध्यान था, वहीं अब छोटे-छोटे उप-समुदायों को विशेष पहचान देने पर ज़ोर है।

प्रस्ताव जारी करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा:

“यह कोई दान का वादा नहीं, बल्कि न्याय की गारंटी है उन लोगों के लिए जिन्हें दशकों से अवसरों से वंचित रखा गया है।”

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इसे “बिहार के सबसे वंचित वर्गों को सम्मान, प्रतिनिधित्व और सुरक्षा देने का रोडमैप” बताया।

हालाँकि यह संकल्प बड़े लक्ष्य तय करता है, लेकिन इसकी व्यवहारिकता को लेकर सवाल हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रस्तावित कानून को इस तरह तैयार करना होगा कि वह मौजूदा कानूनों से टकराए बिना प्रभावी साबित हो। इसी तरह भूमि वितरण और आरक्षण में बढ़ोतरी के लिए प्रशासनिक और वित्तीय ढाँचे की मज़बूती ज़रूरी होगी।

वहीं सत्तारूढ़ NDA ने अपने पुराने कामकाज का हवाला देते हुए कहा है कि महागठबंधन के वादे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं। नतीजतन चुनावी जंग अब इस मुद्दे पर होगी कि सामाजिक न्याय की असली विरासत किसके पास है।

जैसे-जैसे बिहार चुनाव नज़दीक आएंगे, न्याय संकल्प बहस का मुख्य विषय बनने जा रहा है। क्या यह वोटिंग पैटर्न को बदलेगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि महागठबंधन अपने संदेश को कितनी मजबूती से पहुंचा पाता है और EBC मतदाता इन वादों को कितना भरोसेमंद मानते हैं। यह प्रस्ताव केवल बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इस बात का संकेत है कि राजनीति अब छोटे-छोटे वंचित समुदायों की आकांक्षाओं को साधने पर टिकी है।

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