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वोट चोरी रोकने को कांग्रेस का पायलट अभियान

In Politics
September 23, 2025
rajneetiguru.com - कांग्रेस का पायलट अभियान: वोट चोरी पर रोक। Image Credit – The Indian Express

 कांग्रेस पार्टी ने कथित “वोट चोरी” को रोकने के लिए एक नया पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस पहल के तहत पार्टी चार राज्यों की पाँच लोकसभा सीटों पर विशेष रूप से प्रशिक्षित “बूथ रक्षक” (Booth Rakshaks) तैनात करेगी। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और मताधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

इस प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए पार्टी ने पाँच सदस्यीय केंद्रीय टीम बनाई है। चुनी गई सीटें विभिन्न क्षेत्रों और मतदान पैटर्न का प्रतिनिधित्व करती हैं, ताकि इस मॉडल को अलग-अलग चुनावी परिस्थितियों में परखा जा सके। सफल होने पर इसे आगामी आम चुनावों से पहले देशभर में लागू करने की योजना है।

बूथ रक्षक मतदाता सूची की समीक्षा करेंगे, संदिग्ध या दोहराए गए नामों की पहचान करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि केवल वैध मतदाता ही वोट डाल सकें। साथ ही, वे स्थानीय इकाइयों के साथ मिलकर शिकायतों का समाधान करेंगे और किसी भी अनियमितता का दस्तावेज़ीकरण करेंगे।

कांग्रेस का मानना है कि फर्जी या बढ़ाई गई मतदाता सूचियाँ अतीत में गड़बड़ियों का कारण बनी हैं। इसलिए बूथ रक्षकों को मतदाता सूची और प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी, ताकि गड़बड़ियों को पहले ही पकड़ा जा सके।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हर वोट की सुरक्षा हमारा लोकतांत्रिक दायित्व है। इस पहल के ज़रिए हम जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनका मताधिकार सुरक्षित है।”

बूथ रक्षक बनने वाले कार्यकर्ताओं को चुनावी प्रक्रियाओं, मतदाताओं के अधिकारों और शिकायत दर्ज कराने के तरीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्हें कानूनी ढाँचे की भी जानकारी दी जाएगी ताकि उनकी भूमिका लोकतांत्रिक सीमाओं में रहे।

पाँच सदस्यीय टीम इस पायलट से जुड़े अनुभवों और चुनौतियों की रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय होगी।

यह पहल ऐसे समय में आई है जब देशभर में चुनावी पारदर्शिता को लेकर चर्चा तेज़ है। चुनाव आयोग ने बार-बार प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भरोसा जताया है, लेकिन विपक्षी दल कड़े कदमों की मांग कर रहे हैं।

कांग्रेस के लिए यह कदम जमीनी स्तर पर संगठन को मज़बूत करने और समर्थकों का भरोसा जीतने का प्रयास माना जा रहा है।

फिर भी चुनौतियाँ कम नहीं हैं। विविध क्षेत्रों में बूथ रक्षक तैनात करने और उन्हें प्रशिक्षित करने में संसाधनों और समन्वय की बड़ी ज़रूरत होगी। साथ ही, अन्य दलों के कार्यकर्ताओं से टकराव का खतरा भी बना रहेगा।

फिलहाल सबकी नज़र इस बात पर होगी कि यह पायलट कितना कारगर साबित होता है। यदि यह मॉडल मतदाता सूची की गड़बड़ियों को रोकने और मतदाताओं में भरोसा बढ़ाने में सफल रहा, तो कांग्रेस इसे व्यापक स्तर पर लागू कर सकती है।

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