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राहुल गांधी पर BJP का पलटवार: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों की राजनीतिक भूमिका

In Politics
September 19, 2025
rajneetiguru.com - राहुल गांधी पर BJP का पलटवार: पूर्व CEC की राजनीतिक भूमिका। Image Credit – The Indian Express

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चुनाव आयोग (ECI) पर की गई आलोचना का कड़ा जवाब दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में कई पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों (CEC) को राजनीतिक या संवैधानिक पद देकर उनका “राजनीतिक इस्तेमाल” किया।

भाजपा नेताओं के अनुसार, कांग्रेस ने कम से कम तीन पूर्व CEC — टी.एन. शेषन, एम.एस. गिल और वी.एस. रामादेवी — को सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक भूमिकाएं दीं। पार्टी का कहना है कि इससे कांग्रेस की दोहरी नीति उजागर होती है, क्योंकि आज वही पार्टी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रही है।

टी.एन. शेषन, जिन्होंने 1990 से 1996 तक CEC के रूप में कार्य किया और चुनाव आयोग की स्वायत्तता को मजबूत करने का श्रेय उन्हें दिया जाता है, ने 1997 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। उन्हें कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त था।
एम.एस. गिल, एक अन्य पूर्व CEC, ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और कांग्रेस-नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार में मंत्री बने।
वी.एस. रामादेवी, भारत की पहली महिला CEC, ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री आई.के. गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुई थी।

भाजपा नेताओं का कहना है कि यदि आज कांग्रेस चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है, तो उसे यह भी बताना चाहिए कि उसने अपने शासन में पूर्व CEC को राजनीतिक भूमिकाएं क्यों सौंपी थीं।

राहुल गांधी ने हाल ही में मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा था, “हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता को व्यवस्थित रूप से खत्म किया जा रहा है और चुनाव आयोग भी इससे अछूता नहीं रहा है।”

भाजपा का पलटवार इसी आरोप का जवाब है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस ने ही पहले चुनाव आयोग का राजनीतिकरण किया था।भारत का चुनाव आयोग, जो संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित हुआ है, लंबे समय से राजनीतिक विवादों के केंद्र में रहा है। आलोचकों का कहना है कि पूर्व CEC को राजनीतिक पद दिए जाने से निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। वहीं, समर्थकों का मानना है कि अनुभवी प्रशासकों को देश की सेवा करने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच यह बहस चुनाव से पहले जनता की धारणा को प्रभावित करने का प्रयास है। सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा, “दोनों दल इतिहास का सहारा लेकर अंक बटोरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग में सुधार की जरूरत है ताकि जनता का भरोसा मजबूत हो सके।”

भाजपा का यह पलटवार दिखाता है कि कैसे देश की दो प्रमुख पार्टियां चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को लेकर आमने-सामने हैं। कांग्रेस जहां मोदी सरकार पर संस्थान को कमजोर करने का आरोप लगाती है, वहीं भाजपा कांग्रेस के इतिहास की ओर इशारा करती है। यह बहस इस बात की ओर इशारा करती है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनाव आयोग की निष्पक्षता बनाए रखने पर व्यापक चर्चा आवश्यक है।

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