
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को पंजाब के अमृतसर और गुरदासपुर जिलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया, ग्रामीणों से मिलकर उनकी परेशानियाँ जानी और राहत-कार्यों की स्थिति का आकलन किया। भारी बारिश और नदियों की बाढ़ से किसान, आम नागरिक और खेत-बाड़ी को गंभीर नुकसान हुआ है, वहीं सैकड़ों परिवार विस्थापित हुए और जान-माल का भावनात्मक और आर्थिक टोल झेलना पड़ा है।
राहुल गांधी अमृतसर के अज्नाला के घोनेवाल गांव पहुँचे, जहाँ बाढ़ की चपेट में आए घरों और खेतों का मुआयना किया। उन्होंने प्रभावित परिवारों से बातचीत की और उनके दुःख, जरूरतों को सुना। इसके बाद उन्होंने ऐतिहासिक गुरुद्वारा बाबा बूधा साहिब रामदास में अरदास की। गुरद्वारा में उन्हें एक सीरोपा प्रदान किया गया। उसके बाद वह गुरदासपुर जिला के देरा बाबा नानक के गुर्चक गांव गए, जहाँ सुभिंदर सिंह रंधावा ने उन्हें बाढ़ से बर्बाद हुए खेती के मैदान दिखाए।
कांग्रेस पार्टी ने इस मौके पर राज्य सरकार और केंद्र से राहत पैकेज बढ़ाने और प्रभावितों को तत्काल सहायता प्रदान करने की अपील की। राहुल गांधी ने गाँव-परिवारों से कहा, “विपदा की इस घड़ी में पंजाब के लोग हर स्तर पर सहायता के पात्र हैं, हमें मिलकर उन लोगों की मदद करनी चाहिए जिन्होंने अपनी जमीन, उपज और आश्रय खो दिया है।”
पंजाब में इस वर्ष की बाढ़, बारिश की तीव्रता, नदियों में पानी की वृद्धि और बांधों या नहरों से पानी छोड़ने की प्रक्रियाओं के कारण अस्त-व्यस्त हुई। सूतलज, ब्यास और रवि नदियों में अमृतसर, गुरदासपुर, कपूरथला सहित कई जिले बुरी तरह प्रभावित हुए। सरकारी अनुमान के अनुसार करीब 56 लोगों की मौत हुई है जबकि लगभग 1.98 लाख हेक्टेयर खेत बाढ़ की चपेट में आ गए।
इससे पहले, राज्य सरकार ने राहत और पुनर्वास के लिए 1,600 करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया था, साथ ही पंजाब को केंद्र से प्राप्त SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फण्ड) समेत अन्य स्रोतों से सहायता मिली है। लेकिन प्रभावितों का कहना है कि राशि पर्याप्त नहीं है और कई स्थानों पर राहत सामग्री समय पर नहीं पहुँची है।
भाजपा और आम आदमी पार्टी द्वारा भी आलोचनाएँ की जा रही हैं कि बाढ़-पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ कमजोर थीं और बाढ़ नियंत्रण के लिए जल प्रबंधन एवं नदियों की निगरानी पर्याप्त नहीं हुई। विधायक-नेता इस बात पर बहस कर रहे हैं कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार में तालमेल कैसे किया जाए ताकि आगे की आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।
पृष्ठभूमि में यह जानना आवश्यक है कि पंजाब इस प्रकार की बाढ़ों से पहली बार नहीं गुज़र रहा। पूर्व वर्षों में जब मानसून असाधारण रूप से भारी हुआ, तब नदियों की बढ़ी हुई प्रवाह दर और बारिश की तीव्रता से निचले इलाकों में पानी जमा हुआ है। सरकारी समीक्षा रिपोर्टें बताती हैं कि बाढ़ नियंत्रण प्रणालियों, बरसात के पूर्व वाटर होल्डर्स, बांधों की सुरक्षा और ग्रामीण इलाकों के जल निकासी नेटवर्क को मजबूत किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी की यह यात्रा राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बाढ़ राहत, सरकार की व्यवहार्यता और उम्मीदवारों की विश्वसनीयता का परीक्षण हो रहा है। प्रभावितों की उम्मीद है कि इस वीजिट से मिशनरी राहत प्रयासों में तेजी आएगी और राज्य तथा केंद्र की सरकारें मिलकर व्यापक पुनर्वसन और मुआवजे की व्यवस्था करेंगी।