
बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजद नेता तेजस्वी यादव ने बयान देकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चर्चाएँ तेज हैं।
पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए तेजस्वी ने कहा कि आरजेडी इतनी मजबूत है कि ज़रूरत पड़ने पर अकेले भी चुनाव मैदान में उतर सकती है। उनके इस बयान को कई लोग सहयोगी दलों के लिए संदेश मान रहे हैं कि आरजेडी सीट बंटवारे में अधिक समझौता नहीं करेगी।
लालू प्रसाद यादव द्वारा स्थापित राजद बिहार की सबसे प्रभावशाली पार्टियों में से एक रही है। 2020 विधानसभा चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई। कांग्रेस ने उस चुनाव में 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल 19 पर जीत हासिल कर सकी। इस प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस की आलोचना भी हुई थी।
2025 में होने वाले चुनावों के लिए विपक्षी रणनीति पर बातचीत शुरू हो चुकी है। कांग्रेस सम्मानजनक सीट हिस्सेदारी की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी अपने संगठनात्मक आधार और जनसमर्थन के दम पर दबदबा बनाए रखना चाहती है।
कांग्रेस ने हालांकि मतभेदों की खबरों को नकारा है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा,
“गठबंधन में कोई मतभेद नहीं हैं। तेजस्वी जी का बयान उनकी नेतृत्व क्षमता जताने का एक तरीका है।”
कांग्रेस का कहना है कि वह विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी, हालांकि सीट बंटवारे पर बातचीत कठिन रहने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह बयान आत्मविश्वास का प्रदर्शन और साथ ही एक रणनीतिक कदम है। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी जताकर आरजेडी यह संदेश देना चाहती है कि वह बिहार में विपक्ष की स्वाभाविक नेता है।
राजनीतिक टिप्पणीकार अरुण सिन्हा ने कहा,
“तेजस्वी यादव संकेत दे रहे हैं कि बिहार में विपक्ष की रीढ़ आरजेडी है। साथ ही वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कांग्रेस सीट बंटवारे में अपनी स्थिति से ज्यादा ज़ोर न लगाए।”
यह बयान विपक्षी गठबंधन की नाज़ुक स्थिति को उजागर करता है। बीजेपी-जेडीयू गठजोड़ को चुनौती देने के लिए विपक्षी एकजुटता आवश्यक है, लेकिन सीट बंटवारे और नेतृत्व के मुद्दे अक्सर विवाद का कारण बने हैं।
तेजस्वी के लिए यह कदम कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और राजनीतिक शक्ति का संदेश देने का साधन है। हालांकि, यदि इस रुख को संतुलित तरीके से न संभाला गया तो सहयोगियों के बीच असहमति भी बढ़ सकती है।
आने वाले महीनों में राजद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के बीच सीट बंटवारे पर औपचारिक बातचीत तेज होगी। दोनों दलों को एकजुटता बनाए रखने और अपनी-अपनी प्रासंगिकता सिद्ध करने की चुनौती का सामना करना होगा।
फिलहाल कांग्रेस किसी भी मतभेद को सार्वजनिक रूप से नकार रही है, जबकि राजद अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इन दोनों के बीच सामंजस्य ही तय करेगा कि विपक्षी गठबंधन बिहार चुनावों में किस हद तक प्रभावी हो पाएगा।