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मिजोरम को मिली पहली रेल लाइन, 172 साल का इंतजार खत्म

In National
September 13, 2025
RajneetiGuru.com - मिजोरम को मिली पहली रेल लाइन, 172 साल का इंतजार खत्म - Ref by NDTV

भारतीय रेलवे के 172 साल से अधिक के इतिहास में, पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम ने शनिवार को अपनी पहली रेल लाइन प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की राजधानी आइजोल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली 51.38 किलोमीटर लंबी बैरबी-सैरंग ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का उद्घाटन किया। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल कनेक्टिविटी में सुधार करना है, बल्कि भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को भी गति देना है। इस उद्घाटन के साथ, मिजोरम अब भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क का हिस्सा बन गया है, जिससे क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत हुई है।

इस अवसर को और भी खास बनाने के लिए, प्रधानमंत्री ने आइजोल से दिल्ली के बीच पहली साप्ताहिक राजधानी एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई। यह ट्रेन 2,510 किलोमीटर की दूरी 43 घंटे 25 मिनट में तय करेगी, जो मिजोरम के निवासियों को देश की राजधानी से सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह परियोजना, जिसे 2008-2009 में मंजूरी मिली थी, को पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे द्वारा ₹8,071 करोड़ की लागत से निष्पादित किया गया है। इसका निर्माण 2015 में शुरू हुआ था और 10 साल के भीतर पूरा हो गया। यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मार्ग खड़ी पहाड़ियों, गहरी घाटियों और घने जंगलों से होकर गुजरता है, जिसमें 48 सुरंगें और 150 से अधिक पुल शामिल हैं।

इंजीनियरिंग की एक उल्लेखनीय उपलब्धि

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बैरबी-सैरंग रेलवे लाइन का निर्माण इंजीनियरिंग का एक उल्लेखनीय उदाहरण है, जो हिमालय की तलहटी में आने वाली चुनौतीपूर्ण भूवैज्ञानिक और भौगोलिक स्थितियों पर विजय का प्रतीक है। निर्माण के दौरान, रेलवे को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें ढलान अस्थिरता, नरम चट्टानें और क्षेत्र की उच्च भूकंपीय गतिविधि शामिल थी। इसके अलावा, मिजोरम में निर्माण सामग्री, जैसे रेत, पत्थर और चिप्स की अनुपलब्धता के कारण, रेलवे को इन सामग्रियों को असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और मेघालय जैसे पड़ोसी राज्यों से सड़क और रेल मार्ग से लाना पड़ा।

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इस परियोजना की एक प्रमुख विशेषता भारत का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जो 114 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो दिल्ली के प्रतिष्ठित कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक ऊंचा है। इस पुल का निर्माण कुरंग नदी के ऊपर किया गया है, जो इस क्षेत्र की इंजीनियरिंग क्षमताओं को दर्शाता है।

रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना को एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया। उन्होंने कहा, “बैरबी-सैरंग रेलवे लाइन का उद्घाटन न केवल एक इंजीनियरिंग की उपलब्धि है, बल्कि यह मिजोरम के लोगों के लिए एक नया अध्याय खोल रहा है। यह कनेक्टिविटी लोगों के जीवन में बदलाव लाएगी और उन्हें आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक अवसरों से जोड़ेगी।” उनके बयान में इस परियोजना के दूरगामी प्रभाव की उम्मीदें झलकती हैं।

आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की उम्मीद

इस नई रेल लाइन के शुरू होने से मिजोरम के लोगों के लिए परिवहन की लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है। पहले, आइजोल से असम के सिलचर तक 150 किलोमीटर की सड़क यात्रा में ₹1,000 तक का खर्च आता था। अब, यही यात्रा ट्रेन से ₹80 से कम में पूरी की जा सकेगी। इससे न केवल यात्रा सस्ती होगी, बल्कि गुवाहाटी, दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े शहरों तक पहुंच भी आसान हो जाएगी, जिससे स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और व्यावसायिक सेवाएं मिल सकेंगी।

यह कनेक्टिविटी राज्य के आर्थिक विकास के लिए भी एक बड़ा उत्प्रेरक साबित होगी। मिजोरम के किसान, जो संतरे, अमरूद, अनानास, अदरक और हल्दी जैसी फसलें उगाते हैं, अब अपनी उपज को देश के अन्य हिस्सों में अधिक कुशलता से और कम लागत पर भेज पाएंगे। इससे फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी, जो वर्तमान में 25 से 30 प्रतिशत तक है। इसके अलावा, मालगाड़ियों का संचालन आवश्यक वस्तुओं और निर्माण सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, जिससे राज्य के आर्थिक विकास को और बढ़ावा मिलेगा।

यह परियोजना पर्यटन को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि यह मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि को अधिक सुलभ बनाएगी। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि यह नई रेल लाइन अधिक पर्यटकों को आकर्षित करेगी, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

यह परियोजना भारत सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और उन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करना है। बैरबी-सैरंग रेलवे लाइन का उद्घाटन इस नीति के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

इस नई रेल लाइन के साथ, मिजोरम, जो अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान और शांत परिदृश्य के लिए जाना जाता है, अब भारत के विकास की मुख्यधारा में शामिल हो गया है। यह सिर्फ एक रेलवे लाइन नहीं है, बल्कि यह विकास, कनेक्टिविटी और आशा का एक प्रतीक है जो मिजोरम के भविष्य को आकार देगा।

Author

  • Anup Shukla

    निष्पक्ष विश्लेषण, समय पर अपडेट्स और समाधान-मुखी दृष्टिकोण के साथ राजनीति व समाज से जुड़े मुद्दों पर सारगर्भित और प्रेरणादायी विचार प्रस्तुत करता हूँ।

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