
भारत ने आज एक नया उपराष्ट्रपति पाया है। सी.पी. राधाकृष्णन ने राज्यपाल मुहर्रम के समक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की है। वे अब भारत के पंद्रहवें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। इस ऐतिहासिक घटना में देश के कई मुख्यमंत्री, राज्यपाल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को हुआ था, जिसमें NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार और पूर्व सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 452 मतों से हराया, जबकि प्रतिद्वंदी को 300 मत मिले। कुल मतदाताओं की संख्या 781 थी, जिनमें से 767 ने मतदान किया, और 752 मत वैध रहे। चुनावी मतदान प्रतिशत लगभग 98.2% दर्ज किया गया। यह उपराष्ट्रपति चुनाव Jagdeep Dhankhar के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद हुआ।
राधाकृष्णन ने अपनी जीत का मूल “राष्ट्रीय विचारधारा” में विश्वास बताया। उन्होंने कहा,
“यह हर भारतीय की जीत है, और हमें 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए मिलकर काम करना होगा।”
उनका यह भी कहना था कि लोकतंत्र में राज्य और केंद्र दोनों की भूमिकाएँ अहम हैं। विपक्षी दलों के बावजूद, उन्होंने यह आशा जताई कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और पार्लियामेंटरी संवाद को वे और मजबूत करेंगे।
प्रारंभिक समारोह में शामिल कई गणमान्यों ने राधाकृष्णन की प्रशासनिक क्षमताओं व सार्वजनिक जीवन में उनके अनुभव की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन की लंबी सार्वजनिक सेवा नागरिकों के भरोसे का विषय रही है, और वे उपराष्ट्रपति के रूप में राष्ट्र के संवैधानिक मूल्यों में योगदान देंगे।
-
भारत में उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति के बाद दूसरा उच्चतम पद है। उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति भी होता है और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या असमय रिक्तता की स्थिति में अस्थायी रूप से राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करता है।
-
Jagdeep Dhankhar ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल 2027 तक निर्धारित था।
-
सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु के अनुभवी राजनेता हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल के रूप में पद संभाला है। NDA गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया था, और उनकी जीत अपेक्षित मानी जा रही थी क्योंकि गठबंधन की संसद में पर्याप्त संख्या थी।
इस शपथ ग्रहण समारोह ने भारत में संवैधानिक प्रक्रिया की मजबूती को दिखाया है। अब यह देखना होगा कि उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन अपने नए पद पर किस तरह की भूमिका निभाते हैं — विशेषकर राष्ट्रीय विचारधारा, राज्य-केंद्र सम्बंधों और संसद के कार्यों में उनकी सकारात्मक पहलें कैसे आकार लेती हैं।