
जम्मू-कश्मीर के डोडा से आम आदमी पार्टी (AAP) के इकलौते विधायक मेहराज मलिक को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस कदम को “अलोकतांत्रिक” करार दिया, वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसे “दोहराए अपराधी” पर उचित कार्रवाई बताया।
सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 में लागू हुआ, जिसके तहत प्रशासन को किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखने का अधिकार है। शुरू में इसे तस्करी और सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन समय के साथ इसे लेकर लगातार विवाद रहा है। मानवाधिकार संगठनों और कई राजनीतिक दलों ने इस कानून को कठोर और दुरुपयोग के योग्य बताया है।
डोडा विधानसभा से विधायक मेहराज मलिक को हाल ही में प्रशासन से टकराव और अधिकारियों को धमकाने जैसे आरोपों के चलते PSA के तहत गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ पहले से कई मामले दर्ज बताए जा रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि उनकी गतिविधियाँ बार-बार कानून-व्यवस्था को चुनौती देती रही हैं, इसलिए कठोर कदम उठाना ज़रूरी हो गया।
इस कार्रवाई के साथ ही मलिक जम्मू-कश्मीर के पहले ऐसे वर्तमान विधायक बन गए हैं जिन्हें PSA के तहत हिरासत में लिया गया है। उन्हें अधिनियम की धाराओं के तहत जेल भेज दिया गया है।
गिरफ्तारी के बाद विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि PSA का इस्तेमाल निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
“मेहराज मलिक को PSA के तहत रखने का कोई औचित्य नहीं है। वह जनसुरक्षा के लिए खतरा नहीं हैं। इस बदनाम कानून का इस्तेमाल गलत है और इससे लोकतंत्र पर लोगों का भरोसा कमजोर होता है,” उन्होंने कहा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी मलिक के समर्थन में कहा कि जनता के अधिकारों की मांग करना अपराध नहीं है। उन्होंने मलिक को “जनता का सच्चा सिपाही” बताते हुए गिरफ्तारी की कड़ी आलोचना की।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और पीडीपी सहित अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी कहा कि यदि विधायक से गलती हुई है तो उसे अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए, न कि ऐसे कठोर कानूनों के जरिए दबाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर करती है।
वहीं बीजेपी ने मलिक की गिरफ्तारी का स्वागत किया और कहा कि उन्होंने बार-बार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया तथा प्रशासनिक कार्यों में बाधा डाली। पार्टी नेताओं ने उन्हें “आदतन अपराधी” बताते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था की रक्षा के लिए PSA जैसी कार्रवाई ज़रूरी थी।
AAP विधायक की गिरफ्तारी ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। आलोचकों का कहना है कि इससे निर्वाचित प्रतिनिधियों को चुप कराने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा और लोकतंत्र पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं समर्थक मानते हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसे कदम उठाना आवश्यक है।
कानूनी जानकारों का अनुमान है कि यह मामला अदालत में चुनौती बन सकता है, और न्यायपालिका का रुख आगे की राजनीति को काफी हद तक प्रभावित करेगा। इस बीच AAP ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए बड़ा आंदोलन चलाने के संकेत दिए हैं।
कुल मिलाकर, मेहराज मलिक की PSA गिरफ्तारी जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और प्रशासन के बीच संतुलन की बहस को फिर से केंद्र में ले आई है।