पटना: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, एनडीए के अंदर सीट बंटवारे की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा और जदयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। यह दोनों बड़े साझीदारों के बीच संतुलन बनाए रखने की रणनीति मानी जा रही है।
विवाद की असली वजह चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) है। लोजपा 40 सीटों की मांग कर रही है और दावा कर रही है कि कई क्षेत्रों में उसका मजबूत संगठनात्मक ढांचा है। लेकिन भाजपा इसे व्यावहारिक रूप से 20 सीटों तक सीमित करना चाहती है। पार्टी का कहना है कि छोटे सहयोगियों और नए संभावित दलों को भी जगह देनी होगी, ताकि सामाजिक समीकरण और मजबूत हो सकें।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अमित शाह और जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी बातचीत की है। नीतीश, जो महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वाम) के दबाव का सामना कर रहे हैं, बराबर सीट बंटवारे पर सहमत हैं ताकि गठबंधन में एकजुटता का संदेश दिया जा सके।
लोजपा के लिए यह बातचीत बेहद अहम है। चिराग पासवान, लोकसभा चुनावों के बाद अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं और खुद को बिहार की राजनीति में युवा चेहरा बनाने की रणनीति पर चल रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा और जदयू के सामने उनकी सौदेबाजी की ताकत सीमित है। “आखिरकार लोजपा को अपनी मांग से आधे पर समझौता करना पड़ सकता है। भाजपा छोटे सहयोगियों को नाराज़ नहीं करना चाहती, लेकिन ज्यादा रियायत भी नहीं दे सकती,” एक वरिष्ठ राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा।
एक बार सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो जाने के बाद एनडीए का चुनावी अभियान स्पष्ट होगा। इधर तेजस्वी यादव की राजद बेरोजगारी और सुशासन के मुद्दों को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर है। ऐसे में सत्ताधारी गठबंधन अपनी बढ़त बनाए रखने के लिए एकजुटता और संतुलित समीकरणों पर भरोसा कर रहा है।