मुंबई, ठाणे, नासिक और कल्याण-डोंबिवली की जंग से तय होगा मराठी राजनीति का समीकरण, भाजपा-शिंदे गठजोड़ को टक्कर देने की तैयारी
मुंबई, 15 अगस्त: महाराष्ट्र की सियासत में नई हलचल के बीच उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा तेज़ हो गई है। हालांकि, दोनों दलों के लिए असली परीक्षा विधानसभा या लोकसभा में नहीं, बल्कि आने वाले चार अहम नगर निगम चुनावों में होगी।
नगर निगम होंगे असली रणक्षेत्र
मुंबई, ठाणे, नासिक और कल्याण-डोंबिवली नगर निगम चुनाव ठाकरे भाइयों की सियासी दिशा तय करेंगे। ये इलाके न सिर्फ मराठी मतदाताओं का गढ़ माने जाते हैं, बल्कि स्थानीय राजनीति का भविष्य भी यहां से आकार लेता है।
मराठी मानूस बनाम भाजपा–शिंदे गठबंधन
उद्धव और राज ठाकरे, दोनों के लिए ये मौका है कि वे ‘मराठी मानूस’ की राजनीति को नए सिरे से मज़बूती दें। भाजपा–शिंदे गठजोड़ ने पिछले कुछ वर्षों में मज़बूत पकड़ बनाई है। ऐसे में यदि शिवसेना (UBT) और MNS साथ आते हैं, तो यह भाजपा–शिंदे गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
मुंबई पर सबसे बड़ी नज़र
चार नगर निगमों में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) सबसे अहम है। मुंबई की सत्ता जहां आर्थिक संसाधनों का केंद्र है, वहीं राजनीतिक हैसियत का भी प्रतीक है। उद्धव ठाकरे के लिए BMC खोया हुआ गढ़ वापस लेने की जंग है, जबकि राज ठाकरे के लिए अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता साबित करने का अवसर।
निष्कर्ष
आने वाले नगर निगम चुनाव तय करेंगे कि ठाकरे परिवार का साझा प्रयोग कितना कारगर साबित होता है। यदि गठबंधन सफल रहा, तो न सिर्फ़ महाराष्ट्र की राजनीति में नई तस्वीर बनेगी, बल्कि भाजपा–शिंदे गठजोड़ को भी कड़ी टक्कर मिलेगी।