लंबी कानूनी जद्दोजहद के बाद 27 वर्षीय उम्मीदवार को मिली जीत, बूथ वोट गड़बड़ी का आरोप साबित
नई दिल्ली, 15 अगस्त:
लगभग तीन वर्षों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार एक सरपंच चुनाव का विवाद सुप्रीम कोर्ट में निपटा। नवंबर 2022 में घोषित नतीजे को पलटते हुए, अदालत के आदेश पर कराई गई ईवीएम पुनर्गणना में 27 वर्षीय प्रत्याशी की जीत तय हुई।
विवाद की पृष्ठभूमि
मामला उस समय शुरू हुआ जब युवा उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि मतदान केंद्र पर ड्यूटी में तैनात प्रेसीडिंग ऑफिसर ने बूथ के वोट मिलाकर गलत गिनती कर दी थी। इस गड़बड़ी के चलते उनका हार का ऐलान किया गया।
कानूनी दांवपेंच
मामला पहले स्थानीय अदालतों में गया, उसके बाद हाईकोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा। तमाम सुनवाई और तर्क-वितर्क के बाद सर्वोच्च अदालत ने वोटों की पुनर्गणना का आदेश दिया।
पुनर्गणना का नतीजा
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई पुनर्गणना में आरोप सही साबित हुए। परिणाम बदलते ही 27 वर्षीय उम्मीदवार विजयी घोषित कर दिया गया।
निष्कर्ष
यह फैसला न सिर्फ उम्मीदवार की जीत है, बल्कि चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के भरोसे को मजबूत करने वाला भी है। अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि गड़बड़ियों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।