दिल्ली के आवारा कुत्तों पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने न केवल अमानवीय करार दिया, बल्कि इसे स्थायी समाधान के खिलाफ भी बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि इस समस्या का हल केवल मानवीय तरीकों से ही संभव है।
घटना की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया कि दिल्ली में मौजूद आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में स्थानांतरित किया जाए। यह आदेश तब आया जब कई शहरों में आवारा कुत्तों के हमले की घटनाएं बढ़ीं और नगर निगमों पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा। कोर्ट के निर्देश के बाद इस विषय पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है, जिसमें सुरक्षा और पशु-अधिकार के बीच टकराव साफ दिख रहा है।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने इस आदेश को “गलत दिशा में उठाया गया कदम” बताते हुए कहा कि यह न केवल जानवरों के प्रति क्रूर है, बल्कि इससे समस्या का दीर्घकालिक समाधान भी नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा, “भारत में जानवरों के साथ सहअस्तित्व की परंपरा रही है। सुरक्षा का मतलब क्रूरता नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान, व्यवस्थित टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल जैसे मानवीय तरीकों को अपनाने पर जोर दिया। गांधी का मानना है कि यही तरीके लोगों और जानवरों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
शहरी बहस और विवाद
शहरी भारत में आवारा कुत्तों का मुद्दा लंबे समय से विवादों में रहा है। एक ओर कुछ लोग इसे सार्वजनिक सुरक्षा का सवाल मानते हैं, वहीं दूसरी ओर पशु-प्रेमी और अधिकार कार्यकर्ता इसे जीवों के अधिकार का मुद्दा बताते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने इस विभाजन को और गहरा कर दिया है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी का यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि कांग्रेस इस विषय पर मानवीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देती है। उनका कहना है कि जब तक सरकारें क्रूरता से परे स्थायी समाधान की दिशा में नहीं बढ़ेंगी, तब तक यह समस्या न केवल बनी रहेगी, बल्कि समाज में मानवीय संवेदनाओं को भी चुनौती देती रहेगी।