
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भाजपा के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई है, उस पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से तैयार वीडियो फैलाए हैं, जो कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोयल और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हैं। यह कदम विशेष रूप से बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल चुनावों से पहले AI उपकरणों के दुरुपयोग को लेकर बढ़ती चिंताओं की ओर इशारा करता है।
सूचना के अनुसार, भाजपा असम के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया गया था जिसमें “भाजपा के बिना असम” को मुस्लिम बहुलता से खतरे में बताया गया है। वीडियो में स्कल कैप पहने मुस्लिम पुरुष सार्वजनिक स्थानों पर दिखाए गए हैं, महिलाएँ हिजाब या बुर्का पहने, चाय बगानों, एयरपोर्ट, स्टेडियम जैसे स्थानों पर हैं, और एक टेक्स्ट दावा करता है कि मुसलमान आबादी का 90-प्रतिशत होंगे। वीडियो के अंत में संदेश आता है, “अपने वोट को सोच-समझ कर चुनें।” आलोचकों का कहना है कि ये दृश्य और कैप्शन डर और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाले हैं।
18 सितंबर 2025 को असम कांग्रेस ने यह आधिकारिक शिकायत दिसपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष बेदभ्राता बोरा ने कहा कि वीडियो “ऐसे शीर्षक और वर्णन के साथ है जो स्पष्ट रूप से मुसलमानों के खिलाफ भय और घृणा को बढ़ावा देता है, यह कहता है कि गैर-भाजपा शासन होने पर ‘इस्लामी प्रभुत्व’ होगा और हिंदुओं तथा आदिवासी समुदायों का दमन होगा।” शिकायत में अलग-अलग समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सार्वजनिक उपद्रव की संभावना, और राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने वाले कथ्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
डीसीपी गुवाहाटी पूर्व, मृणाल डेका ने पुष्टि की कि शिकायत दिसपुर पुलिस स्टेशन में मिली है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि “अभी तक आधिकारिक FIR दर्ज नहीं किया गया है।”
भाजपा असम ने वीडियो की रक्षा करते हुए कहा है कि यह AI वीडियो “उस वास्तविकता को दिखाता है कि प्रदेश ने एक जनसंख्या परिवर्तन का अनुभव किया है, जिसने आदिवासी समुदायों के जीवन, आजीविका, जमीन और संस्कृति को प्रभावित किया है।” — ये बयान असम भाजपा के प्रवक्ता रुपम गोस्वामी ने दिया।
यह विवाद संवेदनशील समय पर आया है, क्योंकि असम चुनावों की ओर बढ़ रहा है और सांप्रदायिक विभाजन की रेखाएँ पहले से ही तनावग्रस्त हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि AI-निर्मित या मोरफिड सामग्री तेजी से फैल सकती है, बड़े दर्शक पहुंचा सकती है और मतदाताओं को गुमराह कर सकती है। ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धारा, निर्वाचन Representation Act, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम आदि लागू हो सकते हैं।
मीडिया अध्ययन की विशेषज्ञ प्रोफेसर नंदिता भट्ट ने कहा, “AI उपकरण वास्तविकता को विकृत करने के नए तरीके देते हैं; चुनावों में, भले ही प्रत्यक्ष झूठ न हो, भ्रामक दृश्य विश्वास को घटा सकते हैं और सामाजिक विभेदन को बढ़ा सकते हैं।”
असम वह राज्य है जहाँ जनसंख्या, प्रवासन, नागरिकता और धर्म राजनीतिक रूप से गहरे जुड़े मुद्दे हैं। असम समझौता, नागरिकता कानून, और सीमा पार से अवैध प्रवासन को लेकर लंबे समय से विवाद हैं। यह मामला पहला नहीं है जहाँ AI-जनित या मोरफिड सामग्री चुनावी राजनीति में आरोपों के केंद्र में आई हो, लेकिन बोडोलैंड परिषद चुनावों से ठीक पहले होने के कारण इसकी संवेदनशीलता अधिक बताई जा रही है।
कांग्रेस ने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से वीडियो को तुरंत हटाने का निर्देश देने की मांग की है। राज्य सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ अभी यह निर्धारित कर रही हैं कि यह सामग्री चुनाव कानून का उल्लंघन है या नहीं, और क्या प्लेटफार्मों को कानूनी दायित्व भुगतने होंगे।
चुनावी राजनीति में AI सामग्री के लिए नियमों की आवश्यकता और डिजिटल गलत सूचना तथा सांप्रदायिक घृणा भाषणों को नियंत्रित करने की मांग इस घटना के बाद जोर पकड़ रही है; असम में कैसे इस मामले को सुलझाया जाएगा, यह भविष्य में चुनावी मानदंडों पर असर डाल सकता है।