
गुजरात हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा को हत्या के प्रयास के मामले में जमानत दे दी है। हालांकि अदालत ने इस पर कड़ी शर्तें भी लगाई हैं। डेडियापाड़ा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले वसावा को जुलाई में एक पंचायत बैठक के दौरान हुए विवाद के बाद गिरफ्तार किया गया था।
आरोप है कि एक समन्वय बैठक के दौरान वसावा ने महिला पंचायत अध्यक्ष के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। जब तालुका पंचायत अध्यक्ष ने बीच-बचाव किया, तो उनके ऊपर मोबाइल फोन फेंका गया जिससे सिर पर चोट लगी। इसके बाद गिलास से हमला करने की भी कोशिश की गई, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया।
इस घटना के बाद पुलिस ने हत्या के प्रयास, हमला, आपराधिक धमकी और अपमान सहित आईपीसी की कई धाराओं में मामला दर्ज किया।
न्यायमूर्ति एम. आर. मेंगडे ने जमानत देते हुए कहा कि विधायक का व्यवहार उनके पद के अनुरूप नहीं है। साथ ही अदालत ने कुछ शर्तें तय की हैं:
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वसावा को एक वर्ष तक डेडियापाड़ा तालुका में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी, सिवाय अदालत में पेशी के।
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उन्हें गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं करनी होगी।
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जांच में सहयोग करना और शांति बनाए रखना अनिवार्य होगा।
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व्यक्तिगत जमानत राशि जमा कराने पर ही रिहाई होगी।
गिरफ्तारी के बाद से वसावा वडोदरा सेंट्रल जेल में बंद थे। उन्हें पहले विधानसभा के मानसून सत्र में शामिल होने के लिए अस्थायी राहत दी गई थी।
यह मामला राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि किसी विधायक को अपने ही निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहने का आदेश असामान्य माना जाता है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला जनता के विश्वास को बनाए रखने और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि अदालत ने एक तरफ जवाबदेही तय की है, वहीं दूसरी तरफ लोकतांत्रिक जिम्मेदारियों और न्यायिक सतर्कता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश भी की है।