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सेंगोट्टैयन के निष्कासन से AIADMK में संकट गहराया

In Politics
September 07, 2025
RajneetiGuru.com- सेंगोट्टैयन के निष्कासन से AIADMK में संकट गहराया- Ref by mathrubhumi

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) में शनिवार को उस समय एक नया भूचाल आ गया जब पार्टी के महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी (EPS) ने वरिष्ठ नेता और आठ बार के विधायक के.ए. सेंगोट्टैयन को निष्कासित कर दिया। यह कदम सेंगोट्टैयन द्वारा निष्कासित नेताओं के साथ बातचीत करके पार्टी को एकजुट करने के आह्वान के सीधे जवाब में उठाया गया है। इस फैसले ने एक राजनीतिक बवंडर खड़ा कर दिया है, जिसकी प्रतिद्वंद्वी गुटों ने तीखी निंदा की है और इससे 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर एक लंबा साया पड़ गया है।

पार्टी के दिग्गज और पश्चिमी तमिलनाडु के प्रभावशाली नेता श्री सेंगोट्टैयन को सभी पार्टी पदों से ठीक एक दिन बाद हटा दिया गया, जब उन्होंने नेतृत्व को एकता वार्ता शुरू करने के लिए 10 दिनों का सार्वजनिक अल्टीमेटम दिया था। उनके निष्कासन की उन नेताओं ने तत्काल और तीखी आलोचना की, जिन्हें वह पार्टी में वापस लाने की कोशिश कर रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री और निष्कासित AIADMK समन्वयक, ओ. पन्नीरसेल्वम (OPS) ने इस कार्रवाई को “तानाशाही की पराकाष्ठा” करार दिया और जोर देकर कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता और तमिलनाडु के लोग “EPS को सबक सिखाएंगे।” इसी तरह, AMMK प्रमुख टीटीवी दिनाकरन ने दावा किया कि यह कदम अंततः “EPS के लिए एक झटका होगा, सेंगोट्टैयन के लिए नहीं,” जबकि पूर्व अंतरिम महासचिव वी.के. शशिकला ने इस फैसले को “बचकाना और पार्टी के कल्याण के लिए हानिकारक” बताकर खारिज कर दिया।

वहीं, श्री सेंगोट्टैयन ने उचित प्रक्रिया का पालन न होने पर अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “एक लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में, उन्हें इतना कठोर कदम उठाने से पहले मुझसे स्पष्टीकरण मांगना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।” उन्होंने रहस्यमय तरीके से यह भी जोड़ा कि जल्द ही “आगे और भी घटनाक्रम” होंगे।

हालांकि, EPS खेमा अपने फैसले पर अडिग है। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी ने जोर देकर कहा कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए निष्कासन आवश्यक था। सूत्र ने कहा, “हमारी पार्टी हमारे महासचिव के अधीन सैन्य अनुशासन के साथ काम करती है। नेतृत्व के अधिकार को चुनौती देने या भ्रम पैदा करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” पार्टी की सहयोगी, भाजपा ने सावधानी से खुद को अलग कर लिया है, प्रदेश अध्यक्ष नयनार नागेन्द्रन ने इसे “आंतरिक मामला” बताया है, साथ ही उन्होंने AIADMK के सभी गुटों से सत्तारूढ़ DMK के खिलाफ एकजुट होने की अपनी अपील दोहराई है।

यह आंतरिक कलह 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के बाद शुरू हुए एक लंबे और कटु सत्ता संघर्ष का नवीनतम अध्याय है। बाद के वर्षों में पार्टी का नेतृत्व खंडित रहा, जिसमें EPS और OPS ने शशिकला और दिनाकरन को दरकिनार करने के लिए हाथ मिलाया, और बाद में EPS ने OPS को भी बाहर का रास्ता दिखाकर अपनी शक्ति को मजबूत किया, और अंततः पार्टी और उसके प्रतिष्ठित “दो पत्ती” चिह्न पर कानूनी नियंत्रण हासिल कर लिया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि EPS का यह नवीनतम कदम 2026 के चुनावों से पहले अपने पूर्ण अधिकार को स्थापित करने के लिए एक बड़ा दांव है। चेन्नई स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार डॉ. आर. मणिवन्नन ने कहा, “एकता का सुझाव देने मात्र के लिए सेंगोट्टैयन जैसे अनुभवी नेता को निष्कासित करके, EPS एक स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वह AIADMK में शक्ति का एकमात्र केंद्र हैं। हालांकि इससे अल्पावधि में आंतरिक असंतोष शांत हो सकता है, लेकिन इससे वफादारों के अलग-थलग होने का खतरा है और DMK के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा लगभग असंभव हो जाता है, जो संभावित रूप से सत्ता विरोधी वोटों का घातक विभाजन कर सकता है।”

तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में दो साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में AIADMK की एकजुट मोर्चा पेश करने में असमर्थता को एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली DMK सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ के रूप में देखा जा रहा है। OPS, शशिकला और दिनाकरन जैसे नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्रों के साथ निरंतर विखंडन, AIADMK के चुनावी गणित के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है, जो एक संभावित दो-तरफा मुकाबले को एक बहु-कोणीय लड़ाई में बदल सकता है जिससे सत्तारूढ़ दल को लाभ होगा।

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  • Anup Shukla

    अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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अनूप शुक्ला पिछले तीन वर्षों से समाचार लेखन और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे मुख्य रूप से समसामयिक घटनाओं, स्थानीय मुद्दों और जनता से जुड़ी खबरों पर गहराई से लिखते हैं। उनकी लेखन शैली सरल, तथ्यपरक और पाठकों से जुड़ाव बनाने वाली है। अनूप का मानना है कि समाचार केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और जागरूकता फैलाने का माध्यम है। यही वजह है कि वे हर विषय को निष्पक्ष दृष्टिकोण से समझते हैं और सटीक तथ्यों के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन, शिक्षा, रोजगार, पर्यावरण और जनसमस्याओं जैसे कई विषयों पर प्रकाश डाला है। उनके लेख न सिर्फ घटनाओं की जानकारी देते हैं, बल्कि उन पर विचार और समाधान की दिशा भी सुझाते हैं। राजनीतिगुरु में अनूप शुक्ला की भूमिका है — स्थानीय और क्षेत्रीय समाचारों का विश्लेषण, ताज़ा घटनाओं पर रचनात्मक रिपोर्टिंग, जनसरोकार से जुड़े विषयों पर लेखन, रुचियाँ: लेखन, यात्रा, फोटोग्राफी और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा।

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