
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट-शेयरिंग की बातचीत अंतिम चरण में पहुँच गई है। राज्य की 243 सीटों पर गठबंधन की प्रमुख पार्टियाँ—जेडीयू, भाजपा, लोजपा (आरवी), हम (एस) और आरएलएम—अपना-अपना दावा पेश कर रही हैं। इस बीच मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने अचानक पहला उम्मीदवार घोषित कर राजनीतिक हलचल तेज़ कर दी है।
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नितीश कुमार ने बक्सर जिले की अनुसूचित जाति आरक्षित राजपुर सीट से पूर्व मंत्री संतोष कुमार निराला को पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया। खास बात यह रही कि इस घोषणा के समय उनके साथ मंच पर उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी भी मौजूद थे।
नितीश ने कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में कहा, “हमने राज्य के विकास के लिए लगातार काम किया है और जनता का दायित्व है कि हमें समर्थन देकर हमारे उम्मीदवार को विजयी बनाएं।”
51 वर्षीय निराला एक अनुभवी राजनेता माने जाते हैं। वे पहली बार 2010 में विधायक बने और 2015 में पुनः जीते। वे 2014 से 2017 तक एससी/एसटी कल्याण मंत्री तथा 2017 से 2020 तक परिवहन मंत्री रहे। 2020 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर उन्हें मौका देकर जेडीयू ने संकेत दिया है कि वह पुराने चेहरों पर भरोसा बनाए रखना चाहती है।
भाजपा ने इस कदम को सामान्य बताया और कहा कि राजपुर सीट परंपरागत रूप से जेडीयू के हिस्से में आती रही है, इसलिए इसमें कोई असामान्य बात नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने जानबूझकर इस फैसले को कम महत्व दिया ताकि गठबंधन में किसी तरह का टकराव न दिखे।
हालाँकि यह घोषणा सीट-बंटवारे पर औपचारिक सहमति से पहले हुई है। जेडीयू का रुख साफ है कि वह भाजपा से कम से कम एक सीट ज़्यादा लेकर अपनी “बड़ी भाई” वाली भूमिका दिखाना चाहती है। वहीं, लोजपा (आरवी) के चिराग पासवान और अन्य सहयोगी दल भी अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि नितीश का यह कदम गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश है। एक वरिष्ठ विश्लेषक के अनुसार, “औपचारिक सीट-बंटवारे से पहले उम्मीदवार घोषित करना आत्मविश्वास और संगठनात्मक पकड़ का प्रतीक है।” यह कदम न केवल जेडीयू के समर्थकों को संदेश देने के लिए है बल्कि सहयोगी दलों को भी यह दिखाने के लिए है कि अंतिम निर्णय लेने की ताक़त नितीश के पास है।
बिहार की राजनीति में इस घोषणा का असर आने वाले दिनों में साफ दिखेगा। चुनाव से पहले सीट-बंटवारे की अंतिम तस्वीर तय करेगी कि एनडीए में कौन कितना प्रभावी है। अभी के लिए नितीश कुमार का यह कदम उनकी राजनीतिक सक्रियता और रणनीतिक सोच का स्पष्ट संकेत देता है।