
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिए गए बयानों पर तीखा पलटवार किया है। शिंदे ने कहा कि पाकिस्तान की झूठी कथाओं से सच नहीं बदलता और पाकिस्तान को अपनी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा—“सियार सिंह नहीं बनता, सिंह की खाल ओढ़कर।”
शिंदे का यह बयान उस समय आया है जब शरीफ़ ने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में भारत पर आरोप लगाया कि उसने पहलगाम आतंकी हमले का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। शरीफ़ ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने कई भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया।
भारत ने पाकिस्तान के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत की कार्रवाई का उद्देश्य पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाना था, न कि उसकी सैन्य या नागरिक सुविधाओं को। इस जवाबी कार्रवाई को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया।
इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित नौ आतंकी लॉन्चपैड्स को ध्वस्त किया गया और 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया गया। भारतीय पक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की गई और इसका मकसद आतंकवादी गतिविधियों को रोकना था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ़ ने संयुक्त राष्ट्र में दावा किया कि भारत ने हमले के बाद नागरिकों को निशाना बनाया और राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश की। उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तानी वायुसेना ने कई भारतीय जेट्स को मार गिराया।
भारत ने इन आरोपों को “बिल्कुल निराधार” बताया है। भारतीय प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान बार-बार झूठे बयान देकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान की ज़मीन से आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है और इसे रोकना उसकी ज़िम्मेदारी है।
यह पूरा विवाद 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले से शुरू हुआ। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक शामिल थे। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया।
भारत ने हमले के बाद आतंकवादी ढांचों पर सैन्य कार्रवाई की, जबकि पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया। स्थिति इतनी बिगड़ी कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच चार दिन तक संघर्ष चला, जिसके बाद 10 मई को युद्धविराम लागू हुआ।
युद्धविराम के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर दोनों देश अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार किया है, लेकिन साथ ही दोनों देशों से संयम बरतने की अपील भी की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शिंदे का यह बयान केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया भर नहीं है, बल्कि यह देश के भीतर लोगों को यह संदेश देने की भी कोशिश है कि भारत किसी भी झूठे प्रचार के सामने झुकने वाला नहीं है। एक वरिष्ठ सुरक्षा विश्लेषक का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा बार-बार किए जाने वाले दावे उसकी रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे वह घरेलू स्तर पर अपनी छवि मजबूत करना चाहता है।
फिलहाल भारत और पाकिस्तान के बीच हालात सामान्य नहीं हैं। सीमा पर तनाव बरकरार है और राजनयिक स्तर पर भी तीखी बयानबाज़ी जारी है। संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह विवाद केवल दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है।
एकनाथ शिंदे का बयान भारत की उस स्पष्ट नीति को दोहराता है जिसमें आतंकवाद को किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं माना जाता। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को करारा जवाब देकर यह स्पष्ट कर दिया कि भारत झूठे आरोपों से प्रभावित नहीं होगा। आने वाले समय में यह देखना होगा कि दोनों देशों के बीच संवाद का रास्ता खुलता है या फिर यह तनाव और गहराता है।