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सावरकर की कविता को 116 वर्ष, शाह-भागवत ने अंडमान में श्रद्धांजलि

In Politics
December 12, 2025
rajneetiguru.com - सागर प्राण तलमलाला 116 वर्ष: शाह-भागवत का अंडमान दौरा। Image Credit – The Indian Express

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में शुक्रवार को भारत के स्वतंत्रता इतिहास से जुड़ा एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और स्मृति कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहाँ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की प्रतिष्ठित कविता ‘सागर प्राण तलमलाला’ के 116 वर्ष पूरे होने पर विशेष श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम का उद्देश्य कविता की रचना, उसकी भावनात्मक पृष्ठभूमि और सावरकर की विचारधारा को नई पीढ़ी तक पहुँचाना था।

‘सागर प्राण तलमलाला’ सावरकर की उन भावनात्मक कविताओं में से एक है जो उन्होंने 1909 के आसपास इंग्लैंड के समुद्र तट ब्राइटन में रची थी। यह वह समय था जब भारतीय क्रांतिकारी गतिविधियाँ ब्रिटिश सरकार के सख्त पहरे में थीं और सावरकर स्वतंत्रता आंदोलन के यूरोपीय नेटवर्क का हिस्सा बनाए रखने में जुटे थे।

कविता एक बेचैनी, व्याकुलता और मातृभूमि के प्रति गहरे प्रेम की भावनाएँ व्यक्त करती है। विदेशी धरती पर खड़े सावरकर ने समुद्र को भारत तक पहुँचने वाली एक भावनात्मक कड़ी की तरह देखा और इसी भाव से यह कविता जन्मी। बाद में यह कविता संगीतबद्ध की गई और भारतीय जनमानस में व्यापक रूप से लोकप्रिय हुई।

सावरकर का अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से आत्मीय और ऐतिहासिक संबंध रहा है। 1911 में उन्हें ब्रिटिश सरकार ने सेलुलर जेल (काला पानी) की कठोर कैद में भेजा। यहाँ 10 से अधिक वर्षों तक उन्होंने शारीरिक श्रम, एकांतवास और मानसिक प्रताड़ना सहन की। इसी जेल ने सावरकर के जीवन और विचारों को गहरी दिशा दी।

कविता को अंडमान में याद किया जाना इसलिए भी प्रतीकात्मक माना जाता है क्योंकि यहीं सावरकर ने अपने जीवन के सबसे कठिन वर्षों में भी साहित्य, दर्शन और राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था।

अमित शाह और मोहन भागवत ने इस अवसर पर सावरकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उनके योगदान पर विचार साझा किए। कार्यक्रम में संगीत, कविता पाठ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से सावरकर की कविता को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। द्वीपसमूह के स्थानीय निवासियों, युवाओं, शोधकर्ताओं तथा इतिहासकारों ने बड़े उत्साह से भाग लिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा,
“सावरकर केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि वे वह शक्ति थे जिन्होंने राष्ट्रवाद की ज्वाला को युवाओं के मन में प्रज्वलित रखा।”

उन्होंने आगे कहा कि सावरकर की कविताएँ, लेख और विचार आज भी राष्ट्र सेवा की प्रेरणा देते हैं।

मोहन भागवत ने भी सावरकर की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ स्वतंत्रता आंदोलन की सांस्कृतिक रीढ़ हैं और उन्हें लेकर होने वाले कार्यक्रम नई पीढ़ी को देश के इतिहास से जोड़ने का माध्यम हैं।

संगीतकारों और कलाकारों ने कविता के पदों को आधुनिक वाद्ययंत्रों के साथ प्रस्तुत किया। युवाओं ने नृत्य-नाटिका के माध्यम से सावरकर के इंग्लैंड प्रवास, ब्राइटन के समुद्र तट और कविता की रचना के दृश्य भी प्रदर्शित किए।

कार्यक्रम में देशभर से आए लोग शामिल हुए, जिनमें साहित्यकार, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता संग्राम पर शोध करने वाले विशेष आमंत्रित मेहमान भी थे।

आज, जब स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों को डिजिटल और सामाजिक माध्यमों के द्वारा नई व्याख्याएँ मिल रही हैं, सावरकर की यह कविता अपनी संवेदनशीलता और देशप्रेम के कारण और भी प्रासंगिक होती जा रही है। 116 वर्ष बाद भी यह रचना युवाओं में उसी भाव को जगाने में सक्षम है जिसके साथ वह लिखी गई थी।

सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमलाला’ की 116वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक साहित्यिक स्मरण नहीं था, बल्कि राष्ट्र के स्वतंत्रता इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास था। अंडमान में यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अध्याय केवल इतिहास नहीं, बल्कि जीवित विरासत हैं जिन्हें आज भी सम्मान और समझ की आवश्यकता है।

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  • नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
    दिल से एक कहानीकार, मैं हर क्लिक, हर स्क्रॉल और हर नए विचार में रचनात्मकता खोजता हूँ। चाहे दिल से लिखे गए शब्दों से जुड़ाव बनाना हो, कॉफी के साथ नए विचारों पर काम करना हो, या बस आसपास की दुनिया को महसूस करना — मैं हमेशा उन कहानियों की तलाश में रहता हूँ जो असर छोड़ जाएँ।

    मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
    हमेशा सीखते रहना और आगे बढ़ना — यही मेरा जीवन और लेखन का मंत्र है।

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नमस्ते, मैं सब्यसाची बिस्वास हूँ — आप मुझे सबी भी कह सकते हैं!
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मुझे शब्दों, कला और विचारों के मेल से नई दुनिया बनाना पसंद है। जब मैं लिख नहीं रहा होता या कुछ नया सोच नहीं रहा होता, तब मुझे नई कैफ़े जगहों की खोज करना, अनायास पलों को कैमरे में कैद करना या अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए नोट्स लिखना अच्छा लगता है।
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