“दबाव हर दौर में रहा है, मेरा उदाहरण गलत ढंग से पेश न करें”
पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने साफ किया कि बीजेपी उनके बयान का इस्तेमाल कर कांग्रेस पर हमला करने के लिए न करे।
नई दिल्ली, 14 अगस्त: वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने बीजेपी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि हर दौर में पत्रकारों पर दबाव रहा है, लेकिन इसका इस्तेमाल आज की राजनीति को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता। हाल ही में चर्चा में आए उस बयान पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्ष 2002 में कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने उन्हें तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू न करने की सलाह दी थी, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आज की परिस्थिति में सेंसरशिप को जायज़ ठहराया जाए।
विवाद की पृष्ठभूमि
बीजेपी नेताओं ने सिद्दीकी के पुराने खुलासे को आधार बनाकर कांग्रेस पर हमला बोला था। उनका कहना था कि कांग्रेस ने उस दौर में भी पत्रकारिता की आज़ादी पर अंकुश लगाया। इस पर सिद्दीकी ने कहा कि राजनीति में ऐसे दबाव हमेशा से रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आज की स्थिति को नजरअंदाज किया जाए।
सिद्दीकी का बयान
सिद्दीकी ने साफ कहा— “हर सरकार में पत्रकारों को दबाव झेलना पड़ा है, लेकिन मौजूदा माहौल कहीं अधिक खतरनाक है। मेरे उदाहरण को पेश कर लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों को सही ठहराना गलत है।” उन्होंने जोड़ा कि मीडिया को सच बोलने की हिम्मत रखनी चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर ही टिकी है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने भी बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल विपक्ष पर आरोप मढ़कर अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाना चाहता है। वहीं, कुछ विपक्षी दलों ने सिद्दीकी के बयान को लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों का सबूत बताया।
निष्कर्ष
शाहिद सिद्दीकी ने अपने बयान से साफ कर दिया कि कांग्रेस पर उनका आरोप ऐतिहासिक संदर्भ में था, मगर बीजेपी उसका इस्तेमाल आज की राजनीति में औचित्य साबित करने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में पत्रकारिता की आज़ादी सबसे अहम है और इसे दबाने की कोशिशें देश के लिए खतरनाक साबित होंगी।