बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) और कथित ‘वोटर फ्रॉड’ को लेकर विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शन के बीच, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश और चुनाव आयोग (EC) के बीच सोमवार को होने वाली बैठक अंतिम समय में रद्द हो गई।
30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पर सहमति, फिर बदला रुख
चुनाव आयोग के अनुसार, रविवार दोपहर जयराम रमेश ने आयोग के पत्र को स्वीकार करते हुए सोमवार दोपहर 12 बजे 30 विपक्षी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए सहमति दी थी। उन्होंने इस बैठक के लिए आयोग को “थैंक यू” मेल भी भेजा था।
रविवार को ही रमेश ने आयोग को सूचित किया था कि विपक्षी सांसद सोमवार सुबह 11:30 बजे संसद भवन से निर्वाचन सदन तक शांतिपूर्ण मार्च निकालेंगे और वहां मिलकर SIR समेत अन्य चुनावी मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे।
EC ने तुरंत जवाब देते हुए बैठक का समय तय कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि सीमित जगह के कारण केवल 30 लोगों को अंदर आने की अनुमति होगी।
अचानक 300 सांसदों की मांग
सोमवार को तय बैठक से पहले ही जयराम रमेश ने अचानक मांग कर दी कि सभी 300 विपक्षी सांसदों को सामूहिक रूप से EC से मिलने दिया जाए। इस वजह से बैठक टल गई।
चुनाव आयोग का पलटवार
EC ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर SIR से जुड़ी पूरी जानकारी और दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए। इनमें शामिल हैं —
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SIR की जमीनी हकीकत और उद्देश्य
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राजनीतिक दलों की पूर्ण भागीदारी
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बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की भूमिका
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बिहार के मसौदा मतदाता सूची जारी होने से पहले, दौरान और बाद में हुई बैठकों का ब्यौरा
आयोग के अनुसार, 65 लाख मतदाताओं की सूची — जिनमें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, लापता, एक से अधिक जगह पंजीकृत और जिन्होंने नामांकन फॉर्म वापस नहीं किया — 20 जुलाई तक BLA के साथ साझा कर दी गई थी।