ट्रंप के अतिरिक्त टैरिफ को ‘गलत आकलन’ का नतीजा बताएगा मंत्रालय, संवाद और आपसी सम्मान के ज़रिए समाधान की प्रतिबद्धता दोहराएगा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले को भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘गलत आकलन’ का परिणाम बताया है। मंत्रालय के अधिकारी सोमवार (11 अगस्त, 2025) को संसदीय स्थायी समिति को यह भी कहेंगे कि नई दिल्ली को ऐसे भू-राजनीतिक खींचतान में घसीटा जा रहा है, जिसमें उसकी कोई भागीदारी की मंशा नहीं है।
माना जा रहा है कि मंत्रालय यह भी रेखांकित करेगा कि भारत-अमेरिका संबंध हमेशा द्विदलीय (Bipartisan) प्रकृति के रहे हैं और भाजपा तथा कांग्रेस—दोनों सरकारों के दौर में इन रिश्तों ने मजबूती पाई है।
रूस से तेल आयात पर अमेरिकी आपत्ति
यह बैठक तब बुलाई गई है जब अमेरिकी प्रशासन ने रूस से भारत के तेल आयात को अतिरिक्त 25% टैरिफ का कारण बताया। यह शुल्क पहले लगाए गए 25% ‘पारस्परिक’ शुल्क के ऊपर जोड़ा गया है।
विदेश मंत्रालय समिति को यह बताएगा कि चुनौतियों के बावजूद भारत अमेरिका के साथ मुद्दों पर ‘संवाद और आपसी सम्मान’ के ज़रिए रचनात्मक रूप से जुड़ा रहने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता का बिगड़ना
कुछ समय पहले तक अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में भारत को अग्रणी माना जा रहा था। लेकिन टैरिफ विवाद बढ़ने के बाद ट्रंप ने भारत को ‘डेड इकॉनमी’ कहकर विवाद और गहरा दिया।
‘एकतरफा और दंडात्मक कदम’
सूत्रों के अनुसार समिति को बताया जाएगा कि अमेरिकी फैसले वैश्विक ऊर्जा बाज़ार की हकीकत और भारत की संप्रभु नीति-निर्धारण को नहीं दर्शाते। मंत्रालय इसे ‘एकतरफा, दंडात्मक कदम’ मानेगा जो वैश्विक व्यापार मानकों को नुकसान पहुँचाते हैं।
माना जाता है कि व्हाइट हाउस रूस के यूक्रेन पर सैन्य अभियान को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए लगातार खतरा मानता है और इसी वजह से उसने ‘सख्त उपाय’ अपनाए हैं।
6 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकारी आदेश से पहले भारत और अमेरिका ‘निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी’ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे थे। समिति को अमेरिकी नीति में रूस के साथ व्यापार को लेकर अपनाए गए ‘दोहरा मानदंड’ पर भी जानकारी दी जाएगी।
इतिहास और साझा मूल्य
प्रस्तुति में भारत-अमेरिका संबंधों के ऐतिहासिक स्वरूप का विवरण होगा—साझा लोकतांत्रिक मूल्य, खुला समाज, सामरिक और आर्थिक हितों में मेल, और मज़बूत जन-से-जन संबंध। यह भी बताया जाएगा कि इन रिश्तों को भाजपा और कांग्रेस—दोनों ही सरकारों ने आगे बढ़ाया है। अमेरिका में भी रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, दोनों दलों ने इन संबंधों को मज़बूती दी है।
आतंकवाद पर अमेरिकी समर्थन
समिति को यह भी बताया जाएगा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की चिंताओं का समर्थन किया है—विशेषकर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। इस संदर्भ में 26/11 हमले से जुड़े तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की अमेरिकी मंज़ूरी और The Resistance Front (TRF) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने का उल्लेख भी होगा।