भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 140वें स्थापना दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर, पार्टी के भीतर एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला, जहाँ हंसी-मजाक और वैचारिक मतभेद एक साथ नजर आए। रविवार, 28 दिसंबर 2025 को इंदिरा भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान, राहुल गांधी ने वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह से हाथ मिलाते हुए मजाकिया अंदाज में कहा, “कल आपने बदतमीजी की थी!” (You misbehaved yesterday!) । राहुल का यह तंज सिंह के उस सोशल मीडिया पोस्ट की ओर था, जिसमें उन्होंने आरएसएस और भाजपा के सांगठनिक ढांचे की प्रशंसा की थी।
सोनिया गांधी और पार्टी के अन्य दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में हुए इस संवाद ने वहां मौजूद लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया, लेकिन इसने उस आंतरिक असहजता को भी उजागर कर दिया जो सिंह के ‘संगठन प्रेम’ से पैदा हुई थी।
वह पोस्ट जिसने मचाया बवाल
स्थापना दिवस से ठीक 24 घंटे पहले, जब कांग्रेस कार्य समिति (CWC) नए ‘G RAM G’ कानून के खिलाफ रणनीति बना रही थी, दिग्विजय सिंह ने ‘एक्स’ (X) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर साझा की।
सिंह ने लिखा:
“मुझे यह तस्वीर मिली है। यह बहुत प्रभावशाली है। कैसे आरएसएस का एक जमीनी स्वयंसेवक और जनसंघ-भाजपा का कार्यकर्ता, नेताओं के चरणों में फर्श पर बैठकर, राज्य का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बन गया। यह संगठन की शक्ति है। जय सियाराम।”
हालांकि सिंह ने बाद में सफाई देते हुए कहा कि वह आरएसएस की विचारधारा के घोर विरोधी हैं और केवल उनके सांगठनिक कौशल की प्रशंसा कर रहे थे, लेकिन पार्टी के भीतर इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई।
पवन खेड़ा का पलटवार: गांधी बनाम गोडसे
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “आरएसएस से सीखने के लिए कुछ भी नहीं है। गोडसे के लिए जाने जाने वाला संगठन, गांधी द्वारा स्थापित संगठन को क्या सिखा सकता है?” यह विवाद ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस बिहार चुनाव (नवंबर 2025) में मिली हार के बाद अपनी सांगठनिक कमजोरी को दूर करने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने इस मौके को लपकते हुए दावा किया कि दिग्विजय सिंह का पोस्ट राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ एक ‘खुला विद्रोह’ है।
मल्लिकार्जुन खड़गे का कड़ा संदेश
स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिना नाम लिए दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को संदेश दिया। उन्होंने कहा, “आज मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं जो कहते हैं कि ‘कांग्रेस खत्म हो गई है’—हमारी शक्ति कम हो सकती है, लेकिन हमारी रीढ़ अभी भी सीधी है। हमने संविधान और धर्मनिरपेक्षता के साथ कभी समझौता नहीं किया है और न ही करेंगे।”
खड़गे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के पास ‘सत्ता’ है लेकिन कांग्रेस के पास ‘सत्य’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने धर्म को राजनीति बना दिया है, जबकि कांग्रेस के लिए धर्म केवल आस्था का विषय है।
निष्कर्ष: एक विचारधारा जो कभी नहीं मरती
कांग्रेस का 140वां स्थापना दिवस पार्टी के भीतर के विरोधाभासों को समेटे हुए था। एक तरफ राहुल गांधी का मजाकिया अंदाज था, तो दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह की ‘कड़वी’ आत्मनिरीक्षण वाली टिप्पणी।
जैसे-जैसे कांग्रेस 2026 के विधानसभा चुनावों (पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल) की ओर बढ़ रही है, राहुल गांधी का ‘बदतमीजी’ वाला तंज एक याद दिलाता है: कांग्रेस को अब एक ‘आंदोलन’ से बदलकर एक ‘अनुशासित संगठन’ बनने की जरूरत है, लेकिन अपनी मूल विचारधारा को खोए बिना।
