पटना: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने राहुल को “राजनीतिक पर्यटक” बताते हुए कहा कि उनकी राजनीति केवल भाषणों और यात्राओं तक सीमित है। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा और पूछा कि क्या उन्होंने कभी सार्वजनिक रूप से ‘वोट चोरी’ की बात कही है।
रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “राहुल गांधी देशभर में केवल यात्रा करते हैं, लेकिन जनता के मुद्दों पर गहराई से काम नहीं करते। राजनीति केवल प्रचार या दिखावे का माध्यम नहीं, बल्कि ज़मीन से जुड़ाव की कसौटी है।”
उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव जैसे युवा नेताओं को भी जिम्मेदारी के साथ राजनीति करनी चाहिए। “यदि वे चुनाव प्रक्रिया या वोटिंग को लेकर आरोप लगाते हैं, तो उसे प्रमाण के साथ पेश करें। केवल अफवाह फैलाने से जनता का भरोसा नहीं जीता जा सकता,” उन्होंने जोड़ा।
साक्षात्कार के दौरान रवि शंकर प्रसाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भाजपा के रिश्तों पर भी बात की। उन्होंने कहा, “नीतीश जी हमारे साथ 1996 से जुड़े हैं। कुछ उतार-चढ़ाव जरूर आए, लेकिन हम रिश्ते निभाना जानते हैं। भाजपा ने हमेशा गठबंधन की मर्यादा का पालन किया है।”
इस बयान से यह स्पष्ट संदेश गया कि भाजपा, बिहार में अपने पुराने राजनीतिक सहयोगियों के साथ तालमेल बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का लक्ष्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि राज्य के दीर्घकालिक विकास के लिए स्थिर सरकार देना है।
रवि शंकर प्रसाद ने विपक्षी दलों पर यह आरोप लगाया कि वे जनता के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। “वोट चोरी या चुनावी गड़बड़ी के आरोप केवल राजनीतिक हताशा का परिणाम हैं। जब जनता का समर्थन नहीं मिलता, तो ऐसे बहाने बनाए जाते हैं,” उन्होंने कहा।
उनका मानना है कि बिहार की जनता अब राजनीतिक नारेबाजी से आगे बढ़ चुकी है और ऐसे नेताओं को पसंद करती है जो परिणाम दे सकें। “लोग अब भाषण नहीं, काम चाहते हैं। यही भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है,” प्रसाद ने कहा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रवि शंकर प्रसाद का यह बयान बिहार की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनज़र अहम माना जा रहा है। भाजपा राज्य में फिर से अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जबकि विपक्ष जनता के असंतोष को अपने पक्ष में मोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा है।
बिहार में गठबंधन की राजनीति हमेशा से अस्थिर और जटिल रही है। नीतीश कुमार और भाजपा के बीच कई बार राजनीतिक मतभेद हुए हैं, लेकिन दोनों दलों ने समय-समय पर एक-दूसरे के साथ तालमेल बनाए रखा है। इस पृष्ठभूमि में रवि शंकर प्रसाद का “हम रिश्ते निभाते हैं” वाला बयान राजनीतिक संकेतों से भरा हुआ है।
रवि शंकर प्रसाद ने राहुल गांधी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी राजनीति अवसरवादी और असंगत है। “देश में जब भी चुनाव आता है, राहुल गांधी यात्राओं पर निकल जाते हैं। लेकिन इन यात्राओं का कोई ठोस नतीजा नहीं निकलता। राजनीति केवल फोटो और वीडियो बनाने का माध्यम नहीं है,” उन्होंने कहा।
यह बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा का प्रयास है कि विपक्ष के नेतृत्व को अस्थिर दिखाया जाए और जनता के बीच अपने गठबंधन की स्थिर छवि प्रस्तुत की जाए।
बिहार के आगामी चुनावों से पहले इस तरह के बयान राजनीतिक माहौल को और तीखा बना रहे हैं। भाजपा, जदयू और अन्य सहयोगी दलों के बीच तालमेल को लेकर चर्चाएं तेज हैं। वहीं, विपक्षी दल अपने संयुक्त मोर्चे को मजबूत करने में जुटे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि रवि शंकर प्रसाद का यह साक्षात्कार भाजपा की बिहार रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद पार्टी की एकजुट छवि को सामने लाना और विपक्ष को रक्षात्मक स्थिति में लाना है।
अंत में, रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “राजनीति में विचारों की लड़ाई जरूरी है, लेकिन वह तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। जनता सब देख रही है — कौन काम कर रहा है और कौन सिर्फ बोल रहा है।”
