58 views 8 secs 0 comments

लद्दाख की राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग पर सोनम वांगचुक का विवादित बयान, ‘आत्मदाह’ की तैयारी तक का जिक्र

In National
August 12, 2025

लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चर्चित पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का नया वीडियो संदेश विवादों में है।
इस वीडियो में, जो दो महीने पहले जारी हुआ था, उन्होंने दावा किया था कि लद्दाखवासी 15 साल की डोमिसाइल नीति से नाराज़ हैं और आवश्यकता पड़ी तो वे इस मुद्दे पर अपना बलिदान देने के लिए तैयार हैं।

सरकारी सूत्रों की चिंता – संदेश होते जा रहे उत्तेजक

वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के मुताबिक, वांगचुक के राज्य के दर्जे को लेकर संदेश “लगातार अधिक उकसाने वाले” होते जा रहे हैं और इनका इस्तेमाल दुश्मन देश भी कर सकते हैं। उनका ताज़ा वीडियो, जो यूट्यूब पर अपलोड हुआ है और जिसका अनुवाद अभी उपलब्ध नहीं है, में कथित तौर पर अरब स्प्रिंग जैसी आंदोलन की बात कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार, वे समर्थकों को तिब्बत जैसे आत्मदाह आंदोलन की राह पर जाने के लिए भी प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं।

केंद्र को संदेश भेजने की अपील

वांगचुक ने अपील की कि लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूछें कि आगामी वार्ता में छठी अनुसूची या राज्य का दर्जा चर्चा में आएगा या नहीं। उनका कहना है कि अगर जवाब नहीं आता तो इसका मतलब होगा कि सरकार इस मुद्दे को तब तक टाल रही है जब तक परिषद चुनावों की आचार संहिता लागू न हो जाए।
वांगचुक ने चेतावनी दी कि बिना छठी अनुसूची के, लद्दाखी आदिवासी त्रिपुरा की तरह अल्पसंख्यक हो जाएंगे

परियोजनाएं रद्द होने का आरोप

वांगचुक ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें परेशान किया जा रहा है, क्योंकि उनकी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के लिए प्रस्तावित दो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट — गेल (₹10 करोड़) और कोल इंडिया (₹4 करोड़) के — सरकारी दबाव के चलते रद्द कर दिए गए।

कथित रूप से ‘आत्मदाह’ स्थल के सुझाव

वीडियो में उन्होंने कथित तौर पर यह भी कहा कि अगर सरकार छठी अनुसूची देने को तैयार नहीं है, तो अरब स्प्रिंग जैसे आंदोलन पर विचार किया जाए। उन्होंने आत्मदाह या भूख हड़ताल से मृत्यु के लिए स्थान सुझाने को कहा — जिनमें गृह मंत्री का आवास, संसद भवन और न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय जैसे विकल्प शामिल थे।

सरकारी सूत्रों का दावा – असफल उकसावे से बढ़ी निराशा

सूत्रों का कहना है कि वांगचुक के ये संदेश इस बात का संकेत हैं कि वे ABL नेताओं और अन्य लोगों को डोमिसाइल नीति के खिलाफ भड़काने में असफल रहे हैं और समय के साथ उनके संदेश अधिक उग्र होते जा रहे हैं।

Author

  • राजनीति गुरु न्यूज़ डेस्क अनुभवी पत्रकारों और संपादकों की टीम है, जो सटीक, निष्पक्ष और समय पर राजनीतिक समाचार पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग और गहन विश्लेषण के जरिए पाठकों को सही जानकारी प्रदान करते हैं।

/ Published posts: 38

राजनीति गुरु न्यूज़ डेस्क अनुभवी पत्रकारों और संपादकों की टीम है, जो सटीक, निष्पक्ष और समय पर राजनीतिक समाचार पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। हम तथ्यों पर आधारित रिपोर्टिंग और गहन विश्लेषण के जरिए पाठकों को सही जानकारी प्रदान करते हैं।