तकनीकी क्रांति के दौरान विज्ञापनों के दलालों ने नया चीज़ाबंदी ढाल बनाया है। कूकीज़ नामक चहलकदू सदैव सवार रह गए हैं, लेकिन अब इनके पीछे एक बड़ी साजिश की वजह से कूकीज़ पर नजरें हाथ आ रही हैं। टारगेटिंग कूकीज़ नामक चीब के जरिए अपने हितों के प्रोफ़ाइल तैयार करके, विज्ञापन वितरित करने वाली कंपनियां सीधे यूज़र्स के प्रदर्शित विज्ञापनों की संख्या को कोई सीमा लगा ही रही हैं। ये कूकीज़ नहीं सिर्फ़ आपकी ब्राउज़िंग डेटा के आधार पर आपके और दूसरी साइटों पर विज्ञापनों की सामग्री को संबंधित रखती हैं, लेकिन इन्हें आपके व्यक्तिगत जानकारी कतई अभिसविक्षे नहीं किया जाता।
टारगेटिंग कूकीज़ का उद्धेश्य है हमारे साइट पर आ रहे विज्ञापनों के प्रभाव और उनकी संख्या को नियंत्रित करना। इन कूकीज़ के जरिए विज्ञापन वाणिज्यिक अभियान की प्रदर्शित संख्या का विमर्श करने के साथ-साथ, एडवरटाइजिंग वाणिज्यिकता की गणना करने में भी मदद मिलती है। टारगेटिंग कूकीज़ ने यूज़र्स के वाणिज्यिक हितों का पता लगाकर विज्ञापन विविधता को आराम से शाश्वत बना दिया है। इसके बावजूद यह खुद अपनी पहचान को कभी व्यक्त करता नहीं है, इससे कभी भी कतई व्यक्तिगत जानकारी संग्रहित नहीं होती है। शानदार बात है कि इन कूकीज़ के वश में खोज कन्वर्जन के अलावा संयुक्त अर्पण दर एक कोहरों में ही पड़ गई होती है, जिससे विज्ञापन विज्ञापी और हवालात वित्तीय क्रिया नियंत्रकों के लिये अस्पर्शित रहती है।
लेकिन डीफ़ॉल्ट रूप से यदि आप ये कूकीज़ ऐप्ट नहीं करते हैं, तो आपको उत्पादक अद्यतन द्वारा संपर्क किए गए, इकट्ठा विज्ञापन कटंब, सेट केवल मात्र पुस्तक और कूकीज़ वाणिज्यिक अद्यतनों की प्रदर्शित संख्या में कुछ कमी देखने को मिलेगी। इसलिए, तैयार हो जाइये की अगर आप वर्तमान सृजनात्मक दौर में रणनीति और विज्ञान की कूकीज़ के बारे में सीख तो उन्हें अपार्ट न तो रखें, उनकी सरल अवधारणा को भली भांति समझें, वरना ये कूकीज़ इंटरनेट करामात के नए मूर्त पत्थर बन जाएंगी और बीछने वाली हमारी गोलीबारी में किसान बन कर पड़ेंगे।
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