टूटी आदतों और मनोविज्ञानिक समस्याओं से जुड़े 60 साल के ऊपर के लोगों की संख्या बढ़ रही है। याददाश्त में कमी, अल्जाइमर, पार्किंसन, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम आदि की समस्याएं इस उम्र में आम हो रही हैं।
इन समस्याओं का पिछले दशकों में बढ़ता हुआ प्रमुख कारण डोपामाइन की कमी या ज्यादा होना है। डोपामाइन एक मायने रखने वाली रसायनिक हार्मोन है, जो दिमाग के न्यूरॉन्स के बीच संचार को नियंत्रित करता है। यह हार्मोन उत्पादित होने पर भू-तत्त्वों का संतुलन बनाए रखता है, जो स्वास्थ्यशास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है।
डोपामाइन की कमी से याददाश्त कमजोर होती है और डोपामाइन की अधिकता रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है। यह सामग्री ज्ञान में एक वृद्धि के बावजूद, जो लोगों को ये समस्याएं प्राप्त करने के लिए ज्यादा प्रवृत्त करती है। इस समस्या का समाधान खोजना इंटरनेशनल रिसर्चर्स और डॉक्टरों के लिए एक मुश्किल मुद्दा है। यह रिसर्चर्स और डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि वे इस समस्या के समाधान के लिए नवीनतम और प्रभावी उपाय खोज सकें। इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य संबंधित संगठनों को गहरी छानबीन करनी चाहिए।
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