राष्ट्रपति ने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों के संवाद समिति का गठन किया है। इस समिति के घटने से पहले राष्ट्रपति ने जातीय और जनजातीय अल्पसंख्यकों के सम्मेलन की योजना बनाई है। यह समिति अनुसूचित जातियों और जनजातियों के मुद्दों पर चर्चा करेगी और स्थानीय सरकारों और केंद्र सरकार से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी। इस समय, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों की संरक्षा के लिए नई नीतियों और क़ानूनों की जरूरत को देखते हुए संवाद समिति का गठन महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
संवाद समिति की मुख्य कार्यवाही अधिकार, विद्यालयी शिक्षा, रोजगार, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य और वन-जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों के विषय में होगी। इस समिति में अनुभवशाली लोगों का चयन किया गया है ताकि वे केवल काम के लिए समिति में शामिल किए जा सकें। संवाद समिति का गठन जनसामान्य के हितों की सुनेबाज़ी और उनकी बातचीत से जुड़े मुद्दों का समाधान करने का लक्ष्य रखता है। यह एक अहम संकेत हो सकता है कि सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के बीच परंपरागत संरक्षण के साथ उनके विकास के पक्ष में कड़ी सरकारी नीतियों की ओर ध्यान देने की प्रणाली के लिए कदम उठा रही है।
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