डार्क टी पीने से मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है, ऐसा एक नया अध्ययन बताता है। यह अध्ययन चीन के एक माइक्रोबियल किण्वित चाय, जिसे डार्क टी कहा जाता है, के बारे में है। इसके अनुसार, डार्क टी पीने वालों में प्रीडायबिटीज का जोखिम 53 प्रतिशत और टाइप 2 मधुमेह का जोखिम 47 प्रतिशत कम होता है। साथ ही, इस अध्ययन के मुताबिक डार्क टी पीने से रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
ऐडिलेड विश्वविद्यालय में हुए एक और अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ कि दैनिक डार्क टी पीने वालों में चाय पीने के निष्कर्ष सबसे अधिक स्पष्ट होते हैं। इसके पीछे का कारण है कि चाय पीने से मूत्र में ग्लूकोज उत्सर्जन में वृद्धि होती है और इंसुलिन प्रतिरोध में कमी होती है, जिससे मधुमेह का जोखिम कम होता है। इसके अलावा, चाय पीने से गुर्दे में ग्लूकोज उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले बायोएक्टिव यौगिकों की क्रिया में भी सुधार होता है।
इस अध्ययन ने फिलहाल की मधुमेह विरोधी दवा के मामले में एक नई उम्मीद पैदा की है। हालांकि, इसकी सत्यता की जांच करने की आवश्यकता है, लेकिन परिणाम दिखा रहे हैं कि चाय पीने से मूत्र ग्लूकोज उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है और इंसुलिन प्रतिरोध कम हो सकता है। इस अध्ययन ने चाय की अधिक सेवन के उपर और मधुमेह और प्रीडायबिटीज के बीच संबंध की जांच की है।
डार्क टी पीने के फायदों के बारे में जानकारी बढ़ने से इसे खरीदने की मांग भी बढ़ी है। उम्मीद है कि ऐसे ही आगे के अध्ययन और शोध डार्क टी के गुणों को और भी स्पष्ट करेंगे और इसे एक मधुमेह विरोधी उपचार के रूप में उपयोग करने में सहायक सिद्ध होंगे।
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